भारत नेपाल सीमा सड़क निर्माण में देरी से लागत में बढ़ोतरी, कैग ने कहा- आडिट से योजना में अपर्याप्तता हुई उजागर
नई दिल्ली। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना के प्रदर्शन आडिट से योजना और वित्तीय प्रबंधन में अपर्याप्तता उजागर हुई है। खराब अनुबंध प्रबंधन और खराब कार्यों के चलते इसमें अनुचित देरी और लागत में बढ़ोतरी हुई है।
संसद में पेश रिपोर्ट में कैग ने कहा कि केंद्र सरकार ने 3,853 करोड़ रुपये की लागत से नवंबर 2010 में भारत-नेपाल सीमा पर बिहार (564 किमी), उत्तर प्रदेश (640 किमी) और उत्तराखंड (173 किमी) में 1,377 किलोमीटर सड़कों का निर्माण कार्य शुरू किया था। गृह मंत्रालय ने इसके लिए 31 मार्च, 2021 तक इन राज्यों को कुल 1,709.17 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की।
परियोजना को पूरा करने की समय सीमा मार्च 2016 थी। लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर दिसंबर 2022 कर दिया गया। कैग के अनुसार, परियोजना में समन्वय और गतिविधियों के तालमेल की कमी के कारण अनुचित देरी के साथ-साथ लागत में अतिरिक्त वृद्धि हुई है। अगस्त 2016 से पहले बिहार के बेतिया (पश्चिम चंपारण जिला) में भारत-नेपाल सीमा पर सड़कों के साथ 15 पुलों का निर्माण किया गया था।
उनके निर्माण के बाद बिहार के सड़क निर्माण विभाग (आरसीडी) द्वारा सड़कों को आपस में जोड़ने की योजना में बदलाव कर दिया गया। पुलों को संशोधित योजना के तहत जोड़ा गया था या नहीं, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। आरसीडी, बेतिया के इंजीनियरों के साथ आडिट टीम ने तीन पुलों का संयुक्त भौतिक सत्यापन किया। इसने पाया कि पुल अधूरे थे और कोई संपर्क सड़क नहीं थी।
लेखा परीक्षक ने वित्तीय प्रबंधन के मसले पर कहा कि रकम का उपयोग ठीक से प्रबंधित नहीं किया गया था। नतीजतन वर्ष 2013 से 2016 के दौरान राज्य सरकारों के पास धन अवरुद्ध हो गया। इसके अलावा मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंताओं द्वारा क्षेत्र निरीक्षण में पर्याप्त कमी थी। इससे बेहतर गुणवत्ता का काम नहीं होने का जोखिम था।