रिकार्ड गर्मी के सामने बिजली संयंत्रों की फूली सांसय कई राज्यों में बिजली कटौती, राजनीतिक तापमान भी चढ़ा
नई दिल्ली। एक तरफ तेज होती औद्योगिक गतिविधि और दूसरी ओर देश के अधिकतर हिस्से में रिकार्ड तोड़ गर्मी की वजह से बिजली की मांग रिकार्ड स्तर पर पहुंचती जा रही है। ऐसे में कोयले की कमी की वजह से ताप बिजली संयंत्रों की पूरी कोशिश के बावजूद बिजली की मांग और आपूर्ति का अंतर बढ़ता जा रहा है। 29 अप्रैल को देश में बिजली की मांग रिकार्ड 2.07 लाख मेगावाट को पार कर गई, जबकि दो दिन पहले यह 2.01 लाख मेगावाट थी। चार दशक में पहली बार बिजली की मांग इतनी बढ़ी है।
आपूर्ति में कमी के चलते कम-से-कम 16 राज्यों से बिजली की कटौती की सूचना है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, गुजरात जैसे राज्यों में बिजली की आपूर्ति मांग के मुकाबले 500 से 1,500 मेगावाट तक कम है।
कोयले की कमी लेकर सियासत भी गरमा गई है। गैर भाजपा शासित राज्यों-पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड की ओर से बिजली संकट के लिए केंद्र को घेरने की कोशिश जारी है। केंद्र का कहना है कि कोयला संकट के पीछे बड़ी वजह राज्यों के बिजली संयंत्रों द्वारा कोयले की ढुलाई नहीं करवाना और समय पर कोल इंडिया के बकाये का भुगतान नहीं करना है। देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादन कंपनी कोल इंडिया का कहना है कि सभी राज्यों पर संयुक्त रूप से 15,600 करोड़ रुपये का बकाया है।
केंद्र सरकार पावर एक्सचेंज में बिजली की कीमत की मौजूदा उच्चतम सीमा 12 रुपये प्रति यूनिट को कम करने पर विचार कर रही है। कीमत घटाने के लिए राज्यों को 10 प्रतिशत तक आयातित कोयला मिलाने को कहा गया है, लेकिन राज्य हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में बिजली की आपूर्ति मांग से 4,000 मेगावाट कम होने की बात कही है। इसके लिए उन्होंने केंद्र को जिम्मेदार ठहराया है और कहा कि केंद्र पर्याप्त कोयला नहीं दे पा रहा है। आंध्र प्रदेश सरकार ने भी कहा है कि केंद्र से पर्याप्त कोयला नहीं मिलने से बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच 1.50 करोड़ यूनिट का अंतर पैदा हो गया है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने केंद्रीय बिजली मंत्री आरके ¨सह से अगले एक पखवाड़े के लिए अतिरिक्त 500 मेगावाट बिजली आपूर्ति की मांग की है। सिंह ने पर्याप्त बिजली आपूर्ति का आश्वासन दिया है। हरियाणा ने बिजली सुरक्षा के लिए किसी संकटग्रस्त बिजली संयंत्र को खरीदने का भी प्रस्ताव रखा है।