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दुनिया से खत्म हो रही रेतय यूएन रिपोर्ट में दावा, हर साल 50 अरब टन रेत और बजरी निकालता है इनसान

नई दिल्ली। दुनिया को जल्द ही एक और संकट का सामना करना पड़ सकता है। ये संकट होगा रेत की कमी का। दरअसल रेत दुनिया में सबसे अधिक निकाला जाने वाला ठोस पदार्थ है और पानी के पीछे दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला वैश्विक संसाधन है, लेकिन सच्चाई यह है कि रेत का इस्तेमाल काफी हद तक अनियंत्रित है। रेत को दोबारा बनने में सैकड़ों हजारों साल लगते हैं और हम भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं के विपरीत इसका तेजी से उपभोग कर रहे हैं। रेत के अनियंत्रित इस्तेमाल को लेकर केन्या स्थित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने चेतावनी जारी की है।
यूएनईपी में इकोनॉमी डिवीजन की निदेशक शीला अग्रवाल-खान ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा कि अब हम खुद को ऐसी स्थिति में पाते हैं, जहां रेत संसाधनों के बेहतर प्रशासन के बिना हमारे समाजों की जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया जा सकता है। अगर हम अभी एक्शन लेते हैं, तो रेत संकट से बचना अभी भी संभव है। ग्लास, कंक्रीट और कंस्ट्रक्शन मटेरियल में इस्तेमाल के लिए वैश्विक खपत दो दशकों में तीन गुना बढ़कर 50 अरब टन प्रति वर्ष या प्रति व्यक्ति प्रति दिन लगभग 17 किलोग्राम तक पहुंच गई है, यह नदियों और समुद्र तटों को नुकसान पहुंचा रहा है और यहां तक कि छोटे द्वीपों को भी खत्म कर रहा है। यूएन रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव हर साल 50 अरब टन रेत और बजरी निकालता है। संयुक्त राष्ट्र के शोध के अनुसार, यह धरती ग्रह के चारों ओर 27 मीटर ऊंची 27 मीटर चैड़ी दीवार बनाने के लिए पर्याप्त है। पानी के बाद रेत सबसे अधिक दोहन किया जाने वाला संसाधन है, लेकिन पानी के विपरीत, इसे सरकारों और उद्योग द्वारा एक प्रमुख रणनीतिक संसाधन के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इसे तेजी से बदलना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के वैश्विक संसाधन सूचना डाटाबेस के निदेशक और रिपोर्ट के प्रमुख लेखक पास्कल पेडुजी ने कहा कि यदि हमारा पूरा विकास रेत पर निर्भर करता है, तो इसे एक रणनीतिक सामग्री के रूप में पहचाना जाना चाहिए।

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