गेहूं निर्यात खोलने के लिए भारत पर दबाव बढ़ा, यूरोप के बाद अमेरिका ने भी किया आग्रह
नई दिल्ली। गेहूं निर्यात को लेकर भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। यूरोपीय देशों के बाद अब अमेरिका ने भी भारत से फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया है। जी-7 देशों की एक विशेष बैठक में भी यह मुद्दा उठने की उम्मीद है। भारत को भी इसमें हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। उधर, भारत के रुख से साफ है कि वह गेहूं निर्यात के मामले में कूटनीतिक हितों का ध्यान रखेगा। किन देशों व क्षेत्रों को गेहूं की आपूर्ति की जानी है, इसका फैसला वैश्विक व्यवस्था में अपनी स्थिति को देखते हुए किया जाएगा। अभी यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से कई बड़े देशों में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। ऐसे में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक भारत को मुख्य आपूर्तिकर्ता के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन भारत ने कुछ विशेष मामलों में ही निर्यात का फैसला किया है। निजी सेक्टर के निर्यात पर रोक लगा दी गई है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतें बढ़ी हैं।
इंडोनेशिया, तुर्की, मिस्र जैसे बड़े देशों के व्यापारी पूरी दुनिया में जहां भी गेहूं मिल रहा है, वहां से खरीद रहे हैं। भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ताओं में कई देशों के नेताओं ने आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर गेहूं संकट की आशंका जताई है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की प्रतिनिधि लिंडा थामस ग्रीनफील्ड ने कहा, श्हमें भारत की तरफ से गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध की सूचना मिली है। हम हर देश से आग्रह करेंगे कि इस तरह का कदम नहीं उठाएं। इससे वैश्विक स्तर पर संकट बढ़ेगा। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र ने बैठक भी बुलाई है जिसमें भारत हिस्सा लेगा।
भारत सरकार की तरफ से यह स्पष्टीकरण आया है कि गेहूं निर्यात पूरी तरह नहीं रोका गया है, बल्कि उसे नियंत्रित किया गया है। निर्यात का फैसला सरकार के स्तर पर होगा। सरकारी सूत्रों ने बताया है कि वैश्विक बाजार में हर देश यही करता है। गेहूं के बदले इंडोनेशिया से पाम आयल के सौदे से भी इन्कार नहीं किया गया है। सूत्रों का कहना है कि जिन देशों को खाद्य सुरक्षा के लिए गेहूं की जरूरत होगी, उनके प्रस्तावों पर भारत ज्यादा सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगा।
बता दें कि गेहूं निर्यात को नियंत्रित करने के लिए सरकार के ताजा फैसले को लेकर मचे हड़कंप पर सरकार ने एक बार फिर स्थिति स्पष्ट करते हुए मंगलवार को कुछ ढील दे दी। इससे कांडला बंदरगाह पर पहुंच चुके गेहूं निर्यात में सहूलियत मिल सकती है। सरकार ने कहा है कि जहां कहीं भी गेहूं की खेप को जांच के लिए सीमा शुल्क विभाग को सौंप दिया गया है अथवा 13 मई से पहले सीमा शुल्क में रजिस्टर कर दिया गया है, उन्हें निर्यात की अनुमति दी जाएगी। सरकार का यह बयान ऐसे समय आया है जब कांडला बंदरगाह पर भारी संख्या में गेहूं लदे ट्रक पहुंच गए हैं। कामर्स मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि सरकार ने मिस्र को निर्यात होने वाले गेहूं की खेप को अनुमति दी है। इसे लेकर कांडला बंदरगाह पर उसके जहाजों में गेहूं की लोडिंग हो रही है।