‘नूपुर पर न्यायाधीशों की टिप्पणी से लक्ष्मण रेखा हुई पार’
नई दिल्ली। निलंबित भाजपा नेता नूपुर शर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों द्वारा की गई टिप्पणियों की 15 पूर्व न्यायाधीशों, 77 पूर्व नौकरशाहों और सशस्त्र बलों के 25 पूर्व अधिकारियों ने आलोचना की है। नूपुर शर्मा की विवादास्पद टिप्पणी के बाद विवाद पैदा हो गया था।
इन लोगों ने अपने खुले पत्र में कहा है कि दो न्यायाधीशों की पीठ की यह टिप्पणी कि देश में जो हो रहा है, उसके लिए वह (नूपुर शर्मा) अकेले जिम्मेदार है, सही नहीं है। पूर्व न्यायाधीशों, 77 पूर्व नौकरशाहों के समूह ने टिप्पणियों की निंदा करते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि शीर्ष अदालत ने इस मामले में ‘लक्ष्मण रेखा’ पार कर दी। पत्र में कहा गया है कि जजों की यह टिप्पणी उदयपुर में सिर काटने के अपराध को दोषमुक्त करती दिखाई दे रही है। गौरतलब है कि दर्जी कन्हैया लाल की पिछले महीने दो लोगों ने हत्या कर दी थी, जिसे हत्यारों ने अपमान का बदला कहा था।
नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि देश भर में उनके खिलाफ दर्ज सभी एफआइआर को एक साथ जोड़ कर दिल्ली स्थानांतरित किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने एक जुलाई को उनकी याचिका को खारिज कर दिया था और कुछ तीखी टिप्पणियां भी की थी। दो न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि नूपुर शर्मा की बेलगाम जुबान ने पूरे देश में आग लगा दी है। हालांकि पीठ की यह टिप्पणियां अंतिम आदेश का हिस्सा नहीं थीं।
मंगलवार को जारी किए गए खुले पत्र में कहा गया है कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ की दुर्भाग्यपूर्ण और अभूतपूर्व टिप्पणियां न्यायिक लोकाचार के अनुरूप नहीं हैं। पत्र में कहा गया है कि न्यायधीशों की टिप्पणियों का उनकी याचिका में उठाए गए मुद्दे से कोई संबंध नहीं था।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में बंबई हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश क्षितिज व्यास, गुजरात हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएम सोनी, राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरएस राठौर व प्रशांत अग्रवाल और दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएन ढींगरा भी शामिल हैं। इनमें पूर्व आइएएस अधिकारी आरएस गोपालन और एस कृष्ण कुमार, पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी एसपी वैद और पीसी डोगरा, लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी (सेवानिवृत्त) और एअर मार्शल एसपी सिंह (सेवानिवृत्त) भी शामिल हैं।
इससे पहले न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने अपने और न्यायमूर्ति सूर्यकांत के खिलाफ सोशल मीडिया पर हुए हमलों पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि न्यायाधीशों पर उनके फैसलों के लिए व्यक्तिगत हमले खतरनाक परिदृश्य की ओर ले जाते हैं। सोशल और डिजिटल मीडिया मुख्य रूप से न्यायाधीशों के निर्णयों के रचनात्मक और आलोचनात्मक मूल्यांकन के बजाए उनके खिलाफ व्यक्तिगत राय व्यक्त करने का सहारा लेता है। यह न्यायिक संस्थान को नुकसान पहुंचा रहा है और इसकी गरिमा को कम कर रहा है।
भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को कथित तौर पर धमकाने का वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद अजमेर दरगाह के एक खादिम (मौलवी) के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस आरोपी को तलाश रही है। दरगाह पुलिस थाने में सोमवार रात को एक व्यक्ति ने सलमान चिश्ती के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
वीडियो में वह दावा करता दिख रहा है कि वह ‘नूपुर शर्मा का सिर लाने वाले को अपना घर सौंप देगा।’ वीडियो में उसने कहा कि वह अपमान करने पर उसको खुलेआम गोली मार देते। आपको सभी मुसलिम देशों को जवाब देना होगा। यह मैं अजमेर राजस्थान से कह रहा हूं और यह संदेश हुजूर ख्वाजा बाबा के दरबार से है। दरगाह थानाधिकारी दलवीर सिंह फौजदार ने बताया कि इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया और आरोपी की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने बताया कि आरोपी अपराधी प्रवृत्ति का है। 17 जून को अजमेर दरगाह के मुख्य द्वार से कथित भड़काऊ भाषण देने के मामले में हाल ही में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, इसका वीडियो पहले से चल रहा था, लेकिन उक्त गिरफ्तारियां उदयपुर में 28 जून को दर्जी कन्हैया लाल की हत्या के मामले के बाद की गईं। इस बीच वीडियो की निंदा करते हुए अजमेर दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन अली खान के कार्यालय ने कहा कि आरोपी खादिम द्वारा वीडियो में व्यक्त किए गए इस तरह के संदेशों को दरगाह का संदेश नहीं माना जा सकता। कार्यालय ने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत बयान है और निंदनीय है।