सहायक अध्यापक के पदों की नियुक्ति की काउंसिलिंग में शामिल करने को लेकर दायर की गई याचिकाओ पर एक साथ सुनवाई
नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने डीएलएड (एनआईओएस) प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों की नियुक्ति प्रक्रिया की काउंसिलिंग में शामिल करने को लेकर दायर की गई याचिकाओ पर एक साथ सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने दो दिन मामले को लगातार सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है। मामले के अनुसार नंदन सिंह बोहरा, निधि जोशी, गंगा देवी, सुरेश चंद्र गुरुरानी, संगीता देवी और गुरमीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार के 10 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया कि उन्होंने 2019 में एनआईओएस के दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उनकी इस डिग्री को मानव संसाधन मंत्रलय भारत सरकार व एनसीटीई ने मान्यता दी। याचिकर्ताओ का कहना है कि 16 दिसम्बर 2020 को मानव संसाधन मंत्रलय भारत सरकार, 6 जनवरी 2021 एनसीटीई व 15 जनवरी 2021 को शिक्षा सचिव द्वारा उनको सहायक अध्यापक प्राथमिक में सामील करने को कहा था। लेकिन सरकार ने 10 फरवरी को 2021 को यह कहते हुए उन्हें काउंसिलिंग से बाहर कर दिया कि सरकार के पास कोई स्पस्ट गाइड लाइन नही है। इससे पहले याचिकर्ताओ के समस्त शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा हो चुके थे। सहायक अध्यापक प्राथमिक में 2648 पदों पर भर्ती प्रक्रिया गतिमान है।