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समापन सत्र में संबोधन के दौरान अफसरों को दी कई नसीहतें
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सभी से जताई उम्मीद ,चिंतन शिविर के बाद मंथन भी करेंगे
मसूरी। उत्तराखंड के कृषि और सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने गुरुवार को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी में सशक्त उत्तराखंड@25 चिंतन शिविर के अंतिम दिन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। सशक्त उत्तराखंड@25 चिंतन शिविर में ग्राम्य विकास विभाग सहित अन्य विभागों ने लघु एवं दीर्घ कालिक योजनाओं पर प्रस्तुतिकरण दिया।
चिंतन शिविर के दौरान जोशी ने कहा कि 2025 में उत्तराखंड को 25 साल पूर्ण हो जायेंगे। यह उतने ही साल हैं, जितने में एक बच्चा बड़ा होकर अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है, अपना करियर बना लेता है। कृषि मंत्री जोशी ने कहा जिस प्रकार युवा अवस्था में एक व्यक्ति सही करियर चुनकर अपना भविष्य बनता है, हमारे प्रदेश के लिए यह वही समय है। और जिस तरह उस युवा के माता पिता उसका करियर बनाने में मदद करते हैं, उसी प्रकार हम सभी पर इस प्रदेश के अभिभावक के रूप में इस प्रदेश का भविष्य तय करने की जिम्मेदारी है।
मंत्री के रूप में यह मेरा दूसरा कार्यकाल है और इस दौरान बहुत कुछ सीखने को मिला। कार्य किस प्रकार हो सकते हैं…से ज़्यादा किस प्रकार नहीं हो सकते। एक विभाग की बात दूसरे विभाग पर डाल देता है। विभाग वाले शासन पर। डायरेक्टरेट वाले ज़िले पर। ज़िले वाले डायरेक्टरेट पर। हम सब यह भूल जाते हैं की हम एक ही टीम हैं और एक ही उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं।
कृषि मंत्री जोशी ने कहा कभी कभी हमें सरकारी सिस्टम से हटकर, संवेदनाओं के साथ भी कार्य करना चाहिए, खुद को उन लोगों की जगह रखकर। किस प्रकार हम इनका काम सरल कर पाएं। जनता की सेवा ही हमारा कर्त्तव्य हैं। उन्होंने कहा कि ज़रूरी यह भी है की क्या इस चिंतन शिविर के बाद हम आत्म मंथन करेंगे। अपने विभागों में, अपने कार्य क्षेत्र में क्या बदलाव लाएंगे, इससे केवल शिविर तक ही सीमित न रखें।
जोशी ने कहा कि मेरा मानना है कि हमें आंकड़ों को केंद्र न बनाकर लगों को केंद्र में रखना चाहिए । “नंबर सेंट्रिक नहीं पीपल सेंट्रिक” एप्रोच अपनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक और महत्पूर्ण चीज़। जब भी कोई विभागीय समीक्षा बैठक होती है तो अधिकारी की और से आँकड़े पेश कर दिए जाते हैं। यह आंकड़े टारगेट पूरा हुआ की नहीं इस विषय में जानकारी तो दे देते हैं, लेकिन उन लाभार्थियों को इस लाभ को पाने में कितना कष्ट हुआ उसकी जानकारी नहीं देते। यह जानकारी केवल ग्राउंड से मिलती है।
कृषि मंत्री जोशी ने कहा कि कभी कभी हम सिस्टम और नियमों का इतनी सख्ती से पालन करते हैं कि भूल जाते हैं की यह जनता की सुविधा के लिए ही बनाये गए हैं, लेकिन सुविधा की जगह असुविधा उत्पन्न कर रहे हैं। ऐसे में हम सभी को सोचने की आवश्यकता है। जोशी ने कहा कि हम सभी को ‘पीपल सेंट्रिक होने की आवश्यकता है। कृषि मंत्री ने
सभी से आशा व्यक्त करते हुए कहा कि चिंतन शिविर के बाद सभी मंथन भी करेंगे।
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