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राज्य स्तरीय मार्गदर्शक समिति की बैठक में सचिव डॉ. पुरूषोत्तम ने राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना की उपलब्धियों का दिया प्रस्तुतिकरण
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बोले सहकारिता मंत्री डॉ. रावत, हर छह माह में हो राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना की समीक्षा बैठक
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पशुपालन मंत्री सौरभ ने दी हिदायत, सभी विभागों को आपसी सामंजस्य से एवं तालमेल से काम करने की जरूरत
देहरादून । राज्य स्तरीय मार्गदर्शक समिति की बैठक में राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना की समीक्षा बैठक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने ने परियोजना में चल रहे कार्यों एवं उपलब्धियों की सराहना की एवं सम्बंधित अधिकारियों को महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड को एक आत्मनिर्भर प्रदेश बनाना है। हमारा यह प्रयास होना चाहिए की जितनी भी फल सब्ज़ियों एवं अन्य उत्पाद जिनकी खपत राज्य मे है, वह उत्तराखंड के किसानों द्वारा उगाया जाए, जिससे कि उत्तराखंड राज्य के किसानों की आय दुगुनी हो सके। किसान आत्मनिर्भर हो, आत्मनिर्भर किसान से ही उत्तराखंड एक आत्मनिर्भर राज्य बनेगा, आजीविका संवर्द्धन के लिए किसानों को जितने भी ऋण की आवश्यकता है , उन्हें वह दिया जाना चाहिए। सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि हर छह महीने में राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना की समीक्षा बैठक ली जाए जिससे की परियोजना में किए जा रहे कार्यों का अवलोकन हो सके। पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि सभी विभागों को आपसी सामंजस्य एवं तालमेल से काम करने की ज़रूरत है जिससे की परियोजना की योजनाओं को धरातल पर उतारा जा सके एवं उत्तराखंड राज्य को एक स्वर्णिम भविष्य की ओर ले जाया जा सके। सचिव सहकारिता , पशुपालन , दुग्ध, एवं मत्स्य डॉ बी वी आर सी पुरुषोत्तम द्वारा समीक्षा बैठक में राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना का विवरण एवं उपलब्धियों का प्रस्तुतिकरण मुख्यमंत्री सहकारिता मंत्री एवं पशुपालन मंत्री के समक्ष दिखाया गया । सचिव डॉक्टर पुरुषोत्तम ने बताया कि उत्तराखण्ड़ में प्रदेश की सहकारिताओं के सर्वागींण विकास, ग्रामीण क्षेत्रों से हो रहे पलायन, ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन एवं किसानों के जीवन स्तर में सुधार जैसे महत्वपूर्ण उद्देश्यों को राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना की परिकल्पना की गई , परियोजना के चार क्षेत्रक सहकारिता, मत्स्य, पशुपालन एवं दुग्ध इस दिशा में निरंतर काम कर रहे हैं द्य वर्तमान में परियोजना के सहकारिता क्षेत्रक मे सहकारी समितियों के माध्यम से क्रियान्वित संयुक्त सहकारी खेती के अन्तर्गत फसलों का उत्पादन कर उनकी मूल्य श्रृंखलाएं विकसित की जा रही हैं। कलस्टर आधारित उत्पादन कर ‘‘बिक्री केन्द्रों की स्थापना की गई है । किसानों को उनकी उपज एवं उत्पादों का उचित मूल्य प्रदान किया जा रहा है । परियोजना के माध्यम से 57.76 एमटी अदरक और 80.09 एमटी ताजी सब्जियां सफलतापूर्वक आईएनआर 47.54 लाख में बेची जा चुकी है। पहाड़ी महिलाओं के घास के बोझ को कम करने की मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना में भी साइलेज उत्पादन 13500 एमटी हुआ है जिसकी कीमत रु. 800 लाख है। चकराता में एक पायलट परियोजना के तहत 100 किसानों को मुर्गी पालन के लिए प्रेरित कर 22,500 एक दिन के चूजे उपलब्ध कराये गये है, जिससे की आगे चलकर पोल्ट्री वैली योजना की शुरुआत की जा सके । इस परियोजना के अन्तर्गत रू. 28.80 का राजस्व अर्जन हुआ है। दुग्ध क्षेत्रक में राज्य के चार जनपदों देहरादून, उत्तरकाशी, हरिद्वार एवं टिहरी में 12 दुग्ध उत्पादक सेवा केंद्र संचालित किये जा रहे है। वर्तमान में 5 जनपदों में ग्रोथ सेंटर स्थापित कर छुर्पी, पहाडी घी एवं बद्री गाय घी का उत्पादन लगभग 5721 दुग्ध उत्पादक सदस्य लाभान्वित हो रहे हैं एवं रु1.60 बत का व्यापार किया जा चुका है। मत्स्य क्षेत्रक मे भी ट्राउट मछली का उत्पादन 0.3 एमटी/रेसवेज़ से बढ़कर 0.7 एमटी/रेसवेज़ हुआ है। मत्स्य उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई,जो कि 70 एमटी तक पहुंच गया है।समीक्षा बैठक में वित्त मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल मुख्य सचिव राधा रतूड़ी , सचिव मुख्यमंत्री एवं वित्त, डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम, परियोजना के नोडल अधिकारी आनंद ए डी शुक्ल , परियोजना निदेशक डॉ अविनाश आनंद , अल्पना हल्दिया, एवं परियोजना के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
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