उत्तराखण्डदेहरादून
उत्तराखंड एसटीएफ की बड़ी तैयारी: वीपीडीओ भर्ती परीक्षा घोटाले में तीन अधिकारियों के खिलाफ दाखिल होगी चार्जशीट, एसटीएफ को शासन ने चार्जशीट दाखिल करने की दी अनुमति
-
STF बीते 8 अक्टूबर को कर चुकी है आरबीएस रावत ,मनोहर कन्याल और आरएस पोखरिया की गिरफ्तारी
-
तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव व परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ एसटीएफ दाखिल करेगी चार्जशीट
-
6 जनवरी से पहले आरोप पत्र दाखिल करने की संभावना
देहरादून। प्रदेश में साल 2016 के वीपीडीओ भर्ती घोटाले में उत्तराखंड एसटीएफ को यूकेएसएसएससी के तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव और परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ शासन से चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति मिल गई है। उत्तराखंड एसटीएफ 6 जनवरी से पहले आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर देगी।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से साल 2016 में वीपीडीओ भर्ती कराई गई थी, जिसमें धांधली की बात सामने आई थी। इस मामले की जांच उत्तराखंड एसटीएफ कर रही थी। एसटीएफ ने आरोपित यूकेएसएसएससी के पूर्व चेयरमैन आरबीएस रावत, सचिव मनोहर कन्याल और पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को बीते 8 अक्टूबर 2022 को गिरफ्तार कर लिया था। वीपीडीओ भर्ती परीक्षा घोटाले में अभी तक की ये सबसे बड़ी कार्रवाई है। जानकारी के अनुसार आरोपित आरबीएस रावत पूर्व पीसीसीएफ भी रहे हैं। इतना ही नहीं वह पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ रावत सरकार में सलाहकार बनाए गए थे। एसटीएफ एसएसपी आयुष अग्रवाल के मुताबिक तीनों आरोपी अधिकारियों के खिलाफ जांच में पर्याप्त सबूत के आधार पर लगभग चार्जशीट का कार्य पूरा हो चुका है। अब ताज़ा स्थिति के अनुसार अभियोजन पक्ष की ओर भेजी गई फाइल में शासन से चार्जशीट दाखिल करने के लिए अनुमति भी मिल गई। ऐसे में संभवत आगामी 3 जनवरी 2023 या तय समयावधि 6 जनवरी 2023 से पहले आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिया जाएगा। एसटीएफ एसएसपी के मुताबिक यूकेएसएसएससी की ओर से कराए गए 2016 वीपीडीओ भर्ती घोटाले में विजिलेंस ने साल 2020 में मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद सितंबर 2022 में ये केस एसटीएफ को ट्रांसफर कर दिया गया था। इसके बाद बीते 8 अक्टूबर 2022 को आयोग के पूर्व अध्यक्ष सचिव और एग्जाम कंट्रोलर को गिरफ्तार किया गया था। प्रारंभिक जांच में तीनों अधिकारियों के खिलाफ साक्ष्य एवं सबूत मिलने के आधार पर ही गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
बता दें कि वर्ष 2016 में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा ग्राम विकास अधिकारी के 236 पदों पर भर्ती कराई गई थी। इस भर्ती में पहले दिन से गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद वर्ष 2020 में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज किया। लेकिन, जांच की कार्रवाई 2 साल तक आगे ना बढ़ने के कारण सितंबर 2022 के अंत मे यह जांच एसटीएफ को सौंपी गई थी।