जल्द होगा कायाकल्प: उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की एक और अच्छी कोशिश, कहा – नये स्वरूप में नज़र आयेंगे आंगनबाडी केन्द्र
भौतिक संसाधन जुटाने को जनपदों को जारी की 623 लाख की धनराशि ,
बच्चों के लिये खरीदे जायेंगे फर्नीचर्स और आउटडोर प्ले मैटिरियल
एस.आलम अंसारी
देहरादून। प्रदेशभर में राजकीय विद्यालयों में संचालित 799 आंगनबाडी केन्द्रों की सूरत बदलने जा रही है। भारत सरकार द्वारा समग्र शिक्षा के तहत वर्ष 2022-23 हेतु चाइल्ड फ्रेंडली फर्नीचर एवं आउटडोर प्ले मैटिरियल के लिये 623 लाख की धनराशि जारी कर दी है। राज्य परियोजना कार्यालय उत्तराखंड द्वारा यह धनराशि सभी जनपदों को उपलब्ध करा दी गई है।
सूबे के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां सर्वप्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू किया जा चुका है। राज्य सरकार ने प्रदेशभर के राजकीय विद्यालयों में संचालित आंगनबाडी केन्द्रों के आधुनिकीकरण एवं साज-सज्जा के लिये भारत सरकार को कार्ययोजना भेजी थी, जिसके क्रम में केन्द्र सरकार द्वारा सूबे के 799 आंगनबाडी केन्द्रों में भौतिक संसाधान उपलब्ध कराने के लिये 623.22 लाख की धनराशि जारी की है, जिसको राज्य परियोजना समग्र शिक्षा उत्तराखंड द्वारा जनपदों को आवंटित कर दी गई है। डा. रावत ने बताया कि इस योजना के तहत प्रत्येक आंगनबाडी केन्द्र को चाइल्ड फ्रेंडली फर्नीचर एवं आउटडोर प्ले मैटिरियल हेतु 39-39 हजार की धनराशि जारी कर दी गई है। उन्होंने बताया कि आगामी वित्तीय वर्ष में शेष आंगनबाडी केन्द्रों के आधुनिकीकरण का प्रस्ताव भी भारत सरकार को भेजा जायेगा ताकि प्रदेश भर के साढ़े चार हजार आंगनबाडी केन्द्रों का भी कायाकल्प किया जा सकेगा।
पहले चरण में इतने आंगनबाड़ी केंद्रों का चयन
प्रथम चरण में सूबे के जिन आंगनबाडी केन्द्रो को चयनित किया गया है उनमें अल्मोड़ा जनपद के 198, बागेश्वर 20, चमोली 58, चम्पावत 24, देहरादून 82, हरिद्वार 9, नैनीताल 69, पौड़ी 100, पिथौरागढ़ 47, रूद्रप्रयाग 10, टिहरी 39, ऊधमसिंह नगर 93 एवं उत्तरकाशी में 50 आंगनवाडी केन्द्र शामिल है। उन्होंने परियोजना में कार्यरत अधिकारियों एवं जिले के अधिकारियों को निर्देश दिये कि परियोजना का कार्य नियत समय पर पूर्ण करें ताकि आंगनबाडी केन्द्रों में अध्ययनरत नौनिहालों को बेहत्तर शिक्षा दी जा सके। विभागीय मंत्री ने उम्मीद जताई कि इस योजना के लागू होने से जहां एक ओर आंगनबाडी केन्द्रों की दशा और दिशा सुधरेगी वहीं इन केन्द्रों में नई शिक्षा नीति के अनुरूप बच्चों को एजुकेशन मिल सकेगी, जो कि देश के लिये एक मिशाल साबित होगी।