भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने किया कटाक्ष, यूसीसी को लेकर विपक्ष की चिंताओं का जवाब सदन में संभव , कहा , कांग्रेस को सामाजिक एवं आर्थिक आरक्षण को लेकर भी चिंता करने की जरूरत नहीं
देहरादून । भाजपा ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यूसीसी को लेकर उनकी चिंताओं का जवाब सदन में होने वाली चर्चा में ही संभव है । प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यूसीसी को मिल रहे व्यापक जनसमर्थन से डर कर कांग्रेस इन तमाम चिंताओं की आड़ में अपनी तुष्टिकरण की नीति को आगे बढ़ाना चाहती है ।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने जिन हितधारकों और समाज के विभिन्न वर्गों के आरक्षण को लेकर चिंता जाहिर की है वह सिर्फ और सिर्फ यूसीसी को मिलते अपार जनसमर्थन से खिसिया कर खंबा नोचने जैसा है । क्योंकि ड्राफ्ट कमेटी ने पहले ही स्पष्ट किया है कि राज्य के सभी हितधारकों, जनजाति समाज, संप्रदाय, वर्गों के साथ मिलकर सैकड़ों बैठकें की हैं । उनको सामाजिक एवं आर्थिक आरक्षण को लेकर भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। समान नागरिक संहिता के तहत मुख्यता संपत्ति अधिकार, वैवाहिक कानून, निसंतान दंपति के बच्चा गोद लेने, महिलाओं के अधिकार और विभिन्न धार्मिक कुरीतियों के कानूनी संरक्षण की पुनर्व्यख्या करने की दृष्टि से लाया जा रहा है । नौकरियों और अन्य क्षेत्रों में दिए गए सामाजिक व आर्थिक आरक्षण का इस ड्राफ्ट से कोई संबंध नहीं है । बावजूद इसके कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर यूसीसी पर भी भ्रम फैलाने की रणनीति पर काम कर रही है ।उन्होंने आरोप लगाया कि सभी जानते है कि एक देश समान कानून का स्वरूप शीघ्र सामने आ जाएगा, लेकिन कांग्रेस सस्ती राजनीति के लिए एक बार फिर आरक्षण को लेकर भ्रम फैलाकर तात्कालिक लाभ लेना चाहती है । प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यूसीसी को मिल रहे व्यापक जनसमर्थन से डर कर कांग्रेस इन तमाम चिंताओं की आड़ में अपनी तुष्टिकरण की नीति को आगे बढ़ाना चाहती है ।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने जिन हितधारकों और समाज के विभिन्न वर्गों के आरक्षण को लेकर चिंता जाहिर की है वह सिर्फ और सिर्फ यूसीसी को मिलते अपार जनसमर्थन से खिसिया कर खंबा नोचने जैसा है । क्योंकि ड्राफ्ट कमेटी ने पहले ही स्पष्ट किया है कि राज्य के सभी हितधारकों, जनजाति समाज, संप्रदाय, वर्गों के साथ मिलकर सैकड़ों बैठकें की हैं । उनको सामाजिक एवं आर्थिक आरक्षण को लेकर भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। समान नागरिक संहिता के तहत मुख्यता संपत्ति अधिकार, वैवाहिक कानून, निसंतान दंपति के बच्चा गोद लेने, महिलाओं के अधिकार और विभिन्न धार्मिक कुरीतियों के कानूनी संरक्षण की पुनर्व्यख्या करने की दृष्टि से लाया जा रहा है । नौकरियों और अन्य क्षेत्रों में दिए गए सामाजिक व आर्थिक आरक्षण का इस ड्राफ्ट से कोई संबंध नहीं है । बावजूद इसके कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर यूसीसी पर भी भ्रम फैलाने की रणनीति पर काम कर रही है ।उन्होंने आरोप लगाया कि सभी जानते है कि एक देश समान कानून का स्वरूप शीघ्र सामने आ जाएगा, लेकिन कांग्रेस सस्ती राजनीति के लिए एक बार फिर आरक्षण को लेकर भ्रम फैलाकर तात्कालिक लाभ लेना चाहती है ।