Sunday Exclusive:डेंगू का डंक- घबराएं नहीं, सावधानी बरतें,इलाज और रोकथाम के बारे में जागरूकता जरूरी, Dengue के ज्यादातर मामलों में हो सकता है बचाव, लक्षण होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार लें दवाई
यह रोग डेंगू वायरस के संक्रमण से होता है, जो मादा ऐडीस मच्छर के काटने से फैलता है
डेंगू बुखार मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी
डेंगू के लक्षण होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार लें दवाई
एस.आलम अंसारी
देहरादून। बारिश के मौसम में डेंगू रोग को लेकर लोगों में भय और बेचैनी का माहौल पैदा होता है । बुखार आते ही सभी लोगों को लगता है कि उन्हें डेंगू हो गया है और डेंगू की जांच तथा अस्पताल में भर्ती होने के लिये भागदौड़ शुरू हो जाती है।
बहुत से लोग यह नहीं जानते कि 90 से 95 प्रतिशत डेंगू के मामलों में घबराने की जरूरत नहीं होती है और बहुत ही सामान्य लक्षणों के साथ यह स्वत: ही ठीक हो जाता है। डेंगू के ज्यादातर मामलों में बचाव हो सकता है और इसके इलाज और रोकथाम के बारे में लोगों को जागरूक करना जरूरी है। डेंगू बुखार मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी है। यह रोग डेंगू वायरस के संक्रमण से होता है, जो मादा ऐडीस मच्छर के काटने से फैलता है।
डेंगू बुखार में तेज बुखार के साथ आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों के दर्द और त्वचयह रोग डेंगू वायरस के संक्रमण से होता है, जो मादा ऐडीस मच्छर के काटने से फैलता है। त्वच पर हल्के लाल चकत्ते हो जाते हैं। कुछ रोगियों में पेट खराब, जी मिचलाना, उल्टी आदि हो सकता है। डेंगू के मरीजों को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, आराम करना चाहिए और काफी मात्रा में तरल आहार लेना चाहिए। बुखार या जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए पैरासीटामोल ली जा सकती है, लेकिन अन्य कोई दर्द निवारक दवा लेने से अंदरूनी रक्त स्राव का खतरा हो सकता है । डेंगू के लक्षण होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही ,,दवा लेनी चाहिए, अन्यथा दवा लेने पर डेंगू रोग गंभीर रूप भी ले सकता है । उन्होंने कहा कि अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स काउंट दस हजार से ज्यादा हो तो प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की कोई आवश्यकता नहीं होती। अनुचित प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन नुकसान कर सकता है । डॉक्टर की सलाह पर ही अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।
गंभीर रोग वाले लोग रखें खास ध्यान
कुछ लोगों में गंभीर रोग होने का जोखिम अधिक हो सकता है। डायबिटीज, हृदय रोग, लिवर के रोग, किडनी की बीमारियां, कैंसर जैसी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम करने वाली स्वास्थ्य समस्या वाले लोगों में इसके गंभीर होने का खतरा अधिक होता है। ऐसे लोगों में मच्छर जनित रोगों से विशेष बचाव के उपाय करते रहने की आवश्यकता है।
डेंगू को रोका भी जा सकता है और इसका इलाज भी किया जा सकता है, इसलिए लोगों को घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि केवल 05 प्रतिशत मामलों में यह गंभीर हो सकता है तथा 01 प्रतिशत से भी कम मामलों में यह जानलेवा साबित होता है और अगर लोगों को खतरे के संकेतों की जानकारी हो तो जान जाने से बचाई जा सकती है ।
दिन के टाइम ज्यादा काटते हैं डेंगू मच्छर
डेंगू से बचाव के लिए मच्छरों को काटने से बचाव करते रहना जरूरी है। डेंगू के मच्छर दिन के समय अधिक काटते हैं। दिन के समय में दरवाजे और खिड़कियों को बंद रखें जिससे घर में मच्छरों के प्रवेश के कम किया जा सके। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें, ,जिससे मच्छरों के काटने से बचा जा सके। इसके अलावा मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास साफ-सफाई रखें और रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
अगर हर नागरिक यानी हम सब यह ठान लें कि हम डेंगू रोग के मच्छर को पनपने ही नहीं देंगे तो डेंगू रोग को फैलने से रोका जा सकता है।
यह रोग डेंगू वायरस के संक्रमण से होता है, जो मादा ऐडीस मच्छर के काटने से फैलता है।
डेंगू रोग न पनपे, रोकने को ये तरीके अपनाएं
बहुत ही सरल उपायों से हम लोग डेंगू रोग को पनपने से रोक सकते हैं। और यह सरल उपाय हैं कि हम अपने घर में और आस पास बारिश का पानी जमा न होने दें।
छत पर रखी पानी की टंकियों को ढक कर रखें और अगर हम किसी बाल्टी, ड्रम, बड़ा बर्तन या हौदी में पानी भर के रखते हैं तो उसे ठीक से ढक के रखें या फिर कम से कम हफ्ते में एक बार उसे साफ जरूर करें।
यह जरूर देखें की किसी खाली गमले, गमलों की ट्रे, गुलदस्तों के पात्र, कूलर, बेकार पड़े टायर या किसी और कबाड़ के सामान में पानी तो नहीं जमा हो रहा है और यदि इनमें किसी में पानी जमा है तो सारा पानी पूरी तरह खाली कर दें और उन्हें सुखा दे|
टूटे पुराने बर्तन, बोतल, डिब्बे, पुराने बेकार टायर, आदि इधर-उधर न फेंके क्योंकि अगर इन में पानी जमा होगा तो इनमें डेंगू रोग फैलाने वाला मच्छर पैदा होगा।
डेंगू को रोकने की जिम्मेदारी हम सब की है, क्योंकि डेंगू मच्छर घर में जमा साफ पानी में पैदा होते हैं और सारा समाज मिल कर ही इस रोग से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
डॉ पंकज सिंह
राज्य कार्यक्रम अधिकारी वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम उत्तराखंड