उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र: सदन में बजट पर हुई चर्चा, सत्ता पक्ष ने बजट को सर्वस्पर्शी बताया ,विपक्ष ने बताया निराशाजनक,कहा- कई बातों को शामिल ही नहीं किया गया
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा बजट सत्र के चौथे दिन भोजनावकाश के बाद बजट पर चर्चा हुई। भाजपा विधायक दुर्गेश्वर लाल, बृजभूषण गैरोला, प्रदीप बत्रा, बंशीधर भगत, सुरेश चौहान ने बजट को सर्वस्पर्शी बताया। उन्होंने कहा कि बजट उत्तराखंड को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाएगा। भुवन कापड़ी ने कहा कि पशुपालन विभाग ने तो निराश्रित पशुओं के लिए 80 रुपये प्रतिदिन का प्रावधान किया है, लेकिन सरकार ने नौनिहालों के मिड डे मील में प्राथमिक स्तर पर केवल 5.25 और उच्चतर प्राथमिक स्तर पर 8.70 रुपये तय किया हुआ है। बजट में इसे बढ़ाया जाए। महिला उद्यमी समेत कई अन्य योजनाओं का बजट बढ़ाया जाए। आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण किया जाए।उप नेता सदन भुवन कापड़ी ने इन्वेस्टर समिट का जिक्र करते हुए कहा कि रुद्रपुर सिडकुल से उद्योग पलायन कर रहे हैं। क्षेत्र की कई कंपनियां वापस चली गई हैं। सरकार अपने चहेतो को कीमती जमीन सिर्फ 11 हजार वर्ग मीटर की दर पर बेच रही है। उन्होंने सदन में उपनल कर्मचारी, मनरेगा, सवजल ,यूपीसीएल ,भोजन माता ,आशा आंगनवाड़ी, स्वयं सहायता समूह के मुद्दे भी सदन में रखें। बेरोजगारी युवकों के लिए बेरोजगारी भत्ते का जिक्र बजट में न होने की बात भी सदन में उठाई। विधायक तिलक राज बेहड़ ने कहा कि बजट में ग्रीष्मकालीन राजधानी का जिक्र नहीं है ।उन्होंने कहा कि स्थाई राजधानी देहरादून हो इसका प्रावधान बजट में किया जाए। विधायक फुरकान अहमद ने कहा कि समान नागरिक संहिता राजनीतिक लाभ के लिए बनाया गया है। इससे अनुसूचित जनजाति को अलग रखा गया है और समुदाय विशेष को टारगेट करने के लिए बनाया गया है ।उन्होंने कहा कि मदरसा बोर्ड की डिग्रियों की समकक्षता का उल्लेख बजट में नहीं है। किसानों का ध्यान नहीं रखा गया है ।फुरकान अहमद ने कहा कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है। मगर यह आधी ही रह गई है। उन्होंने कहा कि कलियर में बस अड्डे का निर्माण का उल्लेख बजट में नहीं है। उन्होंने बजट को दिशाहीन और भ्रमित करने वाला बताया।सदन में बजट पर हुई चर्चा
राज्य सरकार के वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने बजट को दिशाहीन बताया। उन्होंने कहा कि बजट समावेशी नहीं है, निराशावादी है। इसमें शब्दों की बाजीगरी की गई है। रोडमैप नहीं है, जो यथार्थ से परे है। नेता प्रतिपक्ष ने इसे लक्ष्यविहीन बजट बताते हुए कहा कि इसमें संभावनाओं की अनदेखी की गई है। उन्होंने इसे किसान विरोधी बताया।
संसदीय कार्य मंत्री डॉ अग्रवाल ने कहा,
आरक्षण की मूल भावना में कोई बदलाव नहीं होगा
देहरादून। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि आरक्षण की मूल भावना में कोई बदलाव नहीं होगा। किसी को भी इससे नुकसान नहीं होगा। जिस भर्ती का रिजल्ट जारी हो जाएगा, एक माह के भीतर जॉइनिंग दी जाएगी। अगर निर्धारित अवधि में जॉइन नहीं किया तो उसका अभ्यर्थन निरस्त करते हुए, उसी रिजल्ट के दूसरे अभ्यर्थियों को मौका दिया जाएगा। विपक्ष का आरोप है कि आरक्षण सही नहीं दिया गया। वहीं अग्रवाल ने कहा कि स्वीकृत पदों के सापेक्ष ही आरक्षण का प्रावधान है। रिक्तियों में आरक्षण का प्रावधान नहीं है।इस दौरान नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार सीधे तौर पर आरक्षण खत्म करना चाहती है।
परिवारों के विस्थापन के बजाए जोशीमठ शहर का ट्रीटमेंट किया जाए: भंडारी
देहरादून:बदरीनाथ विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि सिलक्यारा से बड़ा हादसा जोशीमठ में हुआ। यहां 1200 परिवार डेंजर जोन में आ गए। आपदा सचिव ने बैठक कराते हुए शहर में ऐलान किया कि यह सभी परिवार हटेंगे। विधायक ने कहा, इन परिवारों के विस्थापन के बजाए जोशीमठ शहर का ट्रीटमेंट किया जाए। प्रभावितों को बिजली, पानी और कर से छूट मिले।
भंडारी ने कहा कि क्षेत्र में आपदा से श्रमिकों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। विधायक ने यह भी कहा कि, औली में करोड़ों की लागत से बर्फ बनाने की मशीन ली गई । जिससे एक दिन भी बर्फ नहीं बनी। विद्यालयों की स्थिति खराब है। विद्यालयों की छत टपक रही है। उडामांडा, चौंडी, जोशीमठ, ईराणाी, सोरणा, बछेत आदि विद्यालय भवन ठीक नहीं है। कम छात्र संख्या वाले विद्यालय तोड़ दिए गए हैं। उन्हें बंद कर दिया गया है। जिसे फिर से खोला जाए। उच्च शिक्षा में गोपेश्वर महाविद्यालय में श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय का कैंपस खोलने के बाद बंद कर दिया गया है। जिससे छात्र-छात्राओं को टिहरी जाना पड़ रहा है।
बिजली सरचार्ज माफ करने की योजना लाई जाए: शहजाद
देहरादून। बिजली सरचार्ज पर नियम 58 के तहत बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद ने मांग की कि बिजली सरचार्ज माफ करने की योजना लाई जाए। क्योंकि बिजली बिल में सरचार्ज ज्यादा होने की वजह से उपभोक्ता परेशान हैं। संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि पहले से ही किसानों को निजी नलकूप और छोटे घरेलू उपभोक्ताओं को रियायती दरों पर बिजली दी जा रही है। सरचार्ज माफी की कोई योजना फिलहाल प्रस्तावित नहीं है। नियामक आयोग हर साल जनसुनवाई के बाद बिजली दरें तय करता है।