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भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान बोले, वीआईपी नही मुख्य सेवक के रूप मे केदारनाथ गए सीएम धामी, जाने में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं

कपाट खुलने के मौके पर मुख्यमंत्री की उपस्थिति को न पचा पाना दुर्भाग्यपूर्ण
देहरादून। भाजपा ने कहा कि बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वहाँ बतौर मुख्य सेवक गए हैं और इसमे कुछ भी आपत्तिजनक नही है।
पहले 15 दिन वीआईपी दर्शन को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष के कटाक्ष पर प्रतिक्रिया देते हुए चौहान ने कहा कि
ख़ुद को मुख्य सेवक कहने वाले मुख्यमंत्री वीआईपी नहीं प्रदेश के मुखिया के तौर पर गये। मुख्यमंत्री की सुलभता और सहजता के आमजन से मिलनसार स्वभाव को कांग्रेस वीआईपी कल्चर से जोड़ रही है जो कि हास्यास्पद है। उन्होंने कहा कि चार धाम प्रदेश की अर्थिकी की रीढ़ है। देश विदेश के श्रद्धालु चार धाम आते  और श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ तथा प्रदेश की मज़बूत होती अर्थ व्यवस्था को कांग्रेस पचा नहीं पा रही है
उन्होंने कहा कि जबसे चार धाम की आल वेदर रोड बनी है।भगवान बदरी-केदार की नगरी नया रूप ले रही है और यहाँ श्रद्धालुओं का आँकड़ा हर साल नए रिकॉर्ड बना रहा है, ऐसे मे प्रदेश की सँवरती विरासत और आर्थिक तरक़्क़ी को कांग्रेस पचा नहीं पा रही है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 70 सालों में तुष्टिकरण के अलावा कुछ नहीं किया और वह प्रदेश के मुखिया द्वारा कपाट  खुलने के अवसर पर उपस्थिति को पचा नहीं पा रही है। मुख्य सेवक की उपस्थिति से जो भी कर्मचारी अधिकारी चार धाम ड्यूटी पर हैं ,उनमें उमंग और उत्साह बनेगा।
चौहान ने कहा कि भाजपा ने ही धामो मे सुगम और सुलभ दर्शन के लिए शुरुआती 15 दिन वीआईपी दर्शनों से परहेज को सभी राज्यों को पत्र लिखा। इसके पीछे सकारात्मक संदेश था। हालांकि पूर्व मे कांग्रेसी सरकारों मे वीआईपी संस्कृति का बोलबाला रहा। भाजपा काल मे धामों मे बुनियादी सुविधाओं से लेकर कनेक्टविटी तथा चाक चौबंद व्यवस्था की गयी। आज पूरा क्षेत्र पर्यटन गतिविधियों से आच्छादित है और रोजगार के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं। केदारनाथ आज विश्व पटल पर है और यही स्थिति राज्य के अन्य तीर्थ स्थलों की है।
चौहान ने कहा कि कांग्रेस विकास के हर मुद्दे पर राजनीति करती आयी है और उसे विकास कार्यों से कोई लेना देना नही है। जो राज्य और देश के प्रमुख तीर्थ केदारनाथ के कपाट खुलने के मौके पर सीएम की उपस्थिति को नही पचा पा रहे हैं उनकी सोच के स्तर को समझा जा सकता है।

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