राष्ट्रीय

रूस यूक्रेन जंग के दौरान भारतीय कूटनीति की असल परीक्षा अब

अमेरिका ने चीन को लेकर भारत को दी सख्त चेतावनी
नई दिल्ली। रूस यूक्रेन जंग ने भारतीय कूटनीति को मुश्किल में डाल दिया है। भारत पर वैश्विक महाशक्तियों के बीच अमेरिका या रूस में से किसी एक को चुनने का दबाव बढ़ रहा है। ऐसे हालात में भारत की कूटनीति काफी मुश्किल परिस्थितियों से गुजर रही है। भारत ने जैसे ही रूस से रूबल में तेल खरीदने का ऐलान किया, वैसे ही अमेरिका ने चेतावनी जारी कर दी। भारत दौरे पर आए अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह और अमेरिका के वाणिज्य मंत्री जीना रायमुंडो ने भारत के इस कदम की निंदा की है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि भारत को क्या करना चाहिए? क्या भारत को अपनी तटस्थता की नीति का त्घ्याग कर देना चाहिए? उसे रूस या अमेरिका में से किसी एक ध्रुव के साथ चले जाना चाहिए? आखिर, भारत के पास अब क्या विकल्प है?
प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि भारत, रूस से मधुर संबंध के कारण पश्चिमी देशों के निशाने पर है। अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह के बयान को इसी कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए। सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत दोनों देशों से तत्काल युद्ध को खत्म करने और वार्ता के जरिए विवादों को हल करने का आह्वान कर चुका है। सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ मतदान में हिस्सा नहीं लेने पर भारत पर अमेरिका की टेढ़ी नजर थी, लेकिन हाल में भारत ने रूस से रूबल में तेल खरीदने के ऐलान के बाद अमेरिका सख्त हो गया है। अब अमेरिका की नाराजगी साफ दिख रही है। गौरतलब है कि अमेरिकी उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि भारत को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि अगर चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करता है तो रूस उसके बचाव में आएगा। अमेरिका के इस स्टैंड के बाद भारत कूटनीति की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

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