राष्ट्रीय

बढ़ती गर्मी और कोयले की कमी से गहराया बिजली संकट

सरकार का दावा- मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त है कोयला
नई दिल्ली। भीषण गर्मी में बढ़ी खपत और कोयला संकट के चलते देश के कई राज्य बिजली संकट का सामना कर रहे हैं। उद्योग क्षेत्र भी इससे प्रभावित है। हालांकि सरकार दावा कर रही है कि मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोयला उपलब्ध है। इन सबके बीच केंद्र ने राज्यों से अगले तीन सालों के लिए कोयले के आयात को बढ़ाने को कहा है। यह भी माना जा रहा है कि यूक्रेन-रूस युद्ध के चलते भी अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी का असर कोयला आयात पर पड़ा है। बता दें देश में ताप विद्युत परियोजनाओं से 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन होता है।
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दावा किया है कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है। व्यापक पैमाने पर कोयले का उत्खनन कार्य जारी है और शीघ्र ही आपूर्ति सामान्य होगी। देश में कोयले की कमी की वजह से बिजली उत्पादन प्रभावित होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बिजली की मांग बढ़ गई और राज्यों की अर्थव्यवस्था भी बदली है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पहले जहां 3.3 बिलियन (330 करोड़) यूनिट की मांग थी वह 3.5 बिलियन (350 करोड़) यूनिट हो गई है। वर्तमान में 21.22 मिलियन (2.12 करोड़) टन कोयला पावर प्लांटों में है और 72 मिलियन (7.2 करोड़) टन कोल इंडिया व अन्य के पास है। पावर प्लांटों के पास अभी दस दिनों के लिए कोयले का स्टाक है, लेकिन इससे कमी जैसी कोई बात नहीं। नियमित उत्पादन हो रहा है और आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने की कवायद में टीम जुटी है। कोयला आपूर्ति की निरंतरता बनी रहेगी।
राज्य में पिछले करीब एक माह से अघोषित बिजली कटौती बढ़ गई है। ग्रामीण इलाकों में रोजाना दो से ढाई घंटे और शहरी क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में डेढ़ से दो घंटे बिजली काटी जा रही है। रायपुर के औद्योगिक क्षेत्रों उरला, सिलतरा, रावाभांटा आदि में कटौती कुछ ज्यादा है। उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विन गर्ग ने कहा है कि यदि यही हाल रहा तो उद्योगों में तालाबंदी की स्थिति पैदा हो सकती है।
मध्य प्रदेश में बिजली की मांग के बीच कमी बरकरार है। गुरुवार को मांग के मुकाबले करीब 660 मेगावाट बिजली की कमी दिन में हुई। इसकी भरपाई ग्रामीण इलाकों में अघोषित बिजली कटौती से करनी पड़ी। कुछ पावर प्लांट में कोयला कम पड़ने से उत्पादन घटाना पड़ा। दिन में सर्वाधिक 12200 मेगावट की मांग रही और 11540 मेगावाट की आपूर्ति हुई।

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