शिक्षा की गुणवत्ता को चुस्त दुरुस्त बनाने का अभियान तेज
नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को दुरुस्त करने की मुहिम सिर्फ स्कूलों तक नहीं रहेगी। इसके दायरे में शिक्षक तैयार करने वाले देशभर के शैक्षणिक संस्थान भी शामिल होंगे। फिलहाल इन संस्थानों की गुणवत्ता को दुरुस्त करने को लेकर सरकार बड़ी तैयारी में जुटी है। खराब या निम्न गुणवत्ता वाले शिक्षक शिक्षा संस्थानों पर ताला लगना तय है। इससे पहले शिक्षक शिक्षा देने वाले देशभर के संस्थानों की गुणवत्ता से जुड़ी जानकारी जुटाई जा रही है।
सरकार ने यह कवायद उस समय शुरू की है, जब स्कूली शिक्षा के स्तर पर काफी कोशिशों के बाद भी गुणवत्ता में अपेक्षा के अनुरूप सुधार होता नहीं दिख रहा है। इसकी एक बड़ी वजह शिक्षक भी माने जा रहे हैं। मौजूदा समय में ज्यादातर शिक्षक ऐसे हैं, जो गणित व विज्ञान सहित उन विषयों में दक्ष नहीं हैं, जिनके आधार पर स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को परखा जाता है।
हाल ही में देशभर के स्कूलों में कराए गए नेशनल अचीवमेंट सर्वे-2021 में छात्रों की सीखने की क्षमता का आकलन गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान और अंग्रेजी जैसे विषयों को लेकर किया गया था। यह सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं और दसवीं के छात्रों के बीच कराया गया। इनमें सरकारी और निजी स्कूल दोनों शामिल थे। सरकार का मानना है कि जब तक स्कूलों में बेहतर शिक्षक नहीं आएंगे तब तक गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार संभव नहीं है।
शिक्षा मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बेहतर शिक्षक तैयार करने की दिशा में ही चार साल का एकीकृत बीएड कोर्स शुरू करने की पहल की गई है। बीएससी-बीएड, बीए-बीएड और बीकाम-बीएड जैसे कोर्स शुरू किए जाएंगे। इससे न सिर्फ पढ़ाने के लिए समर्पित शिक्षक तैयार होंगे, बल्कि विज्ञान व गणित, कामर्स जैसे विषयों के विशेषज्ञ शिक्षक भी बनेंगे।