कुवैत में मानव तस्करी के चंगुल से छूटीं केरल की 3 महिलाएं,आईएसआईएस भेजने की धमकी देता था ‘मालिक’
तिरुवनंतपुरम। खाड़ी देशों में मानव तस्करी को लेकर काफी सख्त प्रावधान हैं लेकिन फिर भी यहां से कई चौंकाने वाले मामले सामने आ चुके हैं। ताजा मामला केरल की तीन महिलाओं का है जो कुवैत में मानव तस्करी का शिकार होने से बाल-बाल बच गईं। कुवैत में कुछ सामाजिक संगठनों के हस्तक्षेप के बाद केरल की तीन महिलाएं मानव तस्करी नेटवर्क के चंगुल से बचाई गईं हैं। यह मामला सामने आने के बाद केरल पुलिस को संदेह है कि ऐसे कई और लोग पश्चिम एशियाई देशों में फंसे होंगे।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भी उन तीन महिलाओं से पूछताछ की, जो हाल ही में केरल लौटी थीं। दरअसल महिलाओं ने शिकायत की थी कि वे जिसके चुंगल में थीं वो अक्सर इस्लामिक स्टेट द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों में मौजूद कुछ संगठनों का नाम लिया करता था और विरोध करने पर उन्हें वहां ले जाने की धमकी देता था। वो शख्स धमकी देता कि अगर महिलाओं ने अपने परिवार के सदस्यों से उन्हें घर वापस जाने की सूचना दी तो वो उसे इस्लामिक स्टेट ले जाएगा।
पुलिस ने रविवार को अजुमन नाम के एक स्थानीय एजेंट को गिरफ्तार किया। इस एजेंट ने विज्ञापन दिए थे और उनमें से कुछ को बेबी सिटर और पार्ट-टाइम घरेलू सहायिका के रूप में भर्ती किया था। कोच्चि के पुलिस आयुक्त नागराज चकिलम ने कहा, “हमारे पास सूचना है कि उसके द्वारा कम से कम 30 लोगों को भेजा गया और जिनमें से 15 देश लौट वापस आए। प्रारंभिक जांच के बाद हमने पाया कि उन्हें आईएसआईएस को बेचे का खतरा था, लेकिन विस्तृत जांच जारी है।”
उन्होंने कहा कि उत्तरी केरल का रहने वाला एम के गजली उर्फ मजीद तस्करी रैकेट का सरगना है। उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि वह अब भारतीय नागरिक नहीं है। हम सभी जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं।” आयुक्त ने कहा कि अजुमन को कमीशन की पेशकश की गई थी। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 506 (आपराधिक धमकी) और 370 (मानव तस्करी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
उन्होंने कहा कि वह लाइसेंस प्राप्त ट्रैवल एजेंट नहीं था। “अजुमन गरीब पृष्ठभूमि की महिलाओं को आकर्षित करने के लिए शहर में पोस्टर चिपकाता था। वह उन्हें गलत वादे करता था कि वे बेबी सिटर होंगे और उनकी अच्छी तरह से देखभाल की जाएगी। लेकिन वे जाल में फंस गए।”
फरार महिलाओं में से एक ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि उन्हें कुवैत में नौकरी के लिए 40,000 रुपये मासिक वेतन और हवाई टिकट की पेशकश की गई थी। कोल्लम की रहने वाली 44 वर्षीय महिला ने कहा, “जब मैं वहां पहुंची, तो मेरा पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और चार अन्य महिलाओं के साथ एक कमरे में बंद कर दिया गया। जब मैंने घर वापस परिवार से संपर्क करने की कोशिश की तो मुझ पर बेरहमी से हमला किया गया। बाद में मुझे एक कुवैती परिवार को 3.5 लाख रुपये में बेच दिया गया और मुझे रात में भी काम करने के लिए मजबूर किया गया। मुझे थोड़ा खाना दिया गया और कभी-कभी भूखा रखा गया।”।
उन्होंने कहा कि मलयाली एसोसिएशन के स्वयंसेवकों को ज्योग्राफिकल लोकेशन भेजने में कामयाब होने के बाद उनमें से तीन भाग गईं। एसोसिएशन ने कुछ सामाजिक संगठनों की मदद से उनका पता लगाया और उनके टिकट की व्यवस्था कर घर वापस भेजा। महिला ने कहा कि उन्हें मार्च में कुवैत भेजा गया था। उन्होंने कहा कि वे दो हफ्ते पहले वहां से भारत भागी थीं। भारत आने से पहले एक अरब परिवार में दो महीने से अधिक समय बिताया।
एक अन्य पीड़ित महिला ने बताया, “जब हमने विरोध किया तो एजेंट ने धमकी दी कि हमें सीरिया में इस्लामिक स्टेट के कब्जे वाले प्रांतों में भेज दिया जाएगा। उसने कुछ महिलाओं की तस्वीरें दिखाईं, जिनके बारे में उसने कहा, ऐसे क्षेत्रों में भेज दिया और कहा कि वहां से कोई वापसी नहीं होगी। एक बार जब मैं हिंदी और बंगाली भाषी महिलाओं से मिली, तो उन्होंने भी बताया कि वे भी हमारी तरह ठगी की की शिकार हैं।” महिला ने कहा कि वह एक आशा कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही थी और उन्होंने इस उम्मीद में प्रस्ताव लिया कि परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। वे कहती हैं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे रेस्क्यू किया जाएगा। लेकिन मैं कोशिश करती रही। मुझे पता चला कि ऐसी सैकड़ों महिलाएं अकेले कुवैत में फंसी हुई हैं।
एक आव्रजन अधिकारी ने कहा कि खाड़ी देशों में नौकरानियों की भर्ती के लिए कड़े प्रावधान हैं। आमतौर पर इमिग्रेशन क्लीयरेंस और वीजा ई-माइग्रेट वेबसाइट के माध्यम से प्रसारित किए जाते हैं और प्रायोजक को दूतावास को सुरक्षा जमा के रूप में 2,850 डॉलर की बैंक गारंटी देनी होती है। इस जमा राशि का इस्तेमाल अवैतनिक देय राशि और कानूनी दायित्वों के मुआवजे के रूप में किया जाता है। उन्होंने कहा, “ट्रैफिकर्स नकली पदनामों जैसे बेबी सिटर, वृद्धों की मदद, गार्डन अटेंडेंट और सफाई कर्मचारियों को ठगने के लिए इस्तेमाल करते हैं। कड़े प्रावधानों और जागरूकता अभियान के बावजूद, कई अभी भी जाल में फंस रहे हैं।”