उत्तराखण्ड
प्रदेश में बारिश के बाद चटक धूप से लोगों की मुश्किलें बढ़ी
- 1030 यात्रियों को पांडुकेश्वर और गोविंद घाट पर रोका
- यमुनोत्री धाम में 800 श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
देहरादून। उत्तराखंड में 3 दिन से लगातार हो रही बारिश के बाद चटक धूप ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बारिश और धूप के बाद प्रदेश के 13 जिलों में से शायद ही कोई ऐसा जिला होगा जहां सड़कें बंद न हुई हों। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक 1721 किलोमीटर लंबाई की लगभग 220 सड़कें बंद हैं। जिनमें से विभाग ने 40 सड़कों को लगभग खोल दिया है, बाकी सड़कें 2 दिन से बंद पड़ी हुई हैं। अगर समय से रहते इन सड़कों को नहीं खोला गया तो आने वाले दिनों में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
मौजूदा समय में प्रदेश के 18 राज्य स्तरीय मार्ग बंद पड़े हैं, जबकि 11 जिला मुख्यालयों के मार्ग पूरी तरह से बंद हैं। अन्य जिलों के मार्गों की बात करें जो मुख्यालयों से गांवों को जोड़ते हैं उनकी संख्या भी 80 है, जो सभी बंद पड़े हैं। पीएमजीएसवाई की बंद सड़कों की संख्या भी 112 बताई जा रही है। सबसे अधिक 1721 किलोमीटर की सड़कें फिलहाल राज्य में बंद पड़ी हैं।
चारधाम यात्रा पर भी इसका असर देखा जा रहा है। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री जाने वाले यात्रियों को कई बार बीच रास्ते में ही रोका जा रहा है। लामबगड़ में मलबा आने की वजह से लगभग 1030 यात्रियों को पांडुकेश्वर और गोविंद घाट पर रोका गया है। केदारनाथ पैदल जाने वाले यात्रियों को भी कई बार नाले में अधिक पानी आने की वजह से रोका जा रहा है। चारधाम यात्रियों की संख्या में भी बरसात के सीजन के कारण गिरावट देखी जा रही है। गंगोत्री धाम में आज सुबह तक लगभग 165 लोगों ने दर्शन किए हैं जबकि यमुनोत्री धाम में 800 लोगों ने दर्शन किए हैं. कल शाम तक केदारनाथ धाम में दर्शन करने वालों की संख्या 932 रही, जबकि बदरीनाथ में दर्शन करने वालों की संख्या 447 पहुंची।
प्रदेश में 250 ग्रामीण सड़कों का कोई देख- रेख करने वाला नहीं। यह सड़कें प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी थीं, इसमें कुछ तो 10 से 15 साल पहले से बिना रख रखाव के बदहाल पड़ी हुई हैं। ग्रामीण सड़कों का निर्माण मुख्य रूप से पीएमजीएसवाई के तहत होता है।