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ब्रिटिश सरकार ने सूर्य मंदिर में भरवा दी थी रेत, एक सदी के बाद अब होगी सफाई

भुवनेश्वर। एक सदी के बाद अब कोणार्क के सूर्य मंत्री से रेत निकालने का फैसला किया गया है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने मंगलवार को जगमोहन (सभागार) से रेत निकालने का काम शुरू कर दिया। एएसआई के मुताबिक रेत की वजह से भवन की दीवारों पर जोर पड़ रहा था जिसकी वजह से दरार आ रही थी। एएसआई के भुवनेश्वर सर्किल के अधीक्षक अरुण मलिक ने कहा, हमने रेत निकालने का काम शुरू करने से पहले भूमि पूजन किया। इस काम में तीन साल का वक्त लग सकता है। पिछले दो साल से इसके बारे में विशेषज्ञों से राय ली जा रही है और अब एक सुरक्षित सिस्टम बनाया गया है।
मलिक ने बताया, हम चार गेट से रेत निकालेंगे और फिर गर्भगृह को खाली कर देंगे जिससे कि लोग अंदर जा सकें। हमें कुछ पत्थर तोड़ने होंगे और फिर रेत निकाली जाएगी। तकनीकी मदद के लिए बीडीआर निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को ठेका दिया गया है लेकिन रेत निकालने का काम एएसआई के कर्मचारी हीकरेंगे। पहले पश्चिमी गेट से रेत निकालकर इस दरवाजे पर छेद बनाए जाएंगे जिससे कि आगे की स्थिति का अंदाजा लग जाए।
800 साल पहले 13वीं शताब्दी में इस मंदिरको गंगा वंश के नरसिंहदेव ने भगवान सूर्य की पूजा करने के लिए बनवाया था। मुख्य मंत्री नाट्य मंडप पहले ही नष्ट हो चुका है और अब केवल जगमोहन ही बचा है। इस मंदिर को बनाने में लगभग 1200 शिल्पकार लगे थे जिन्होंने 16 साल तक काम किया।
1900 से 1903 के बीच ब्रिटिश सरकार ने इसस इमारत को बचाने का जिम्मा लिया और जगमोहन को बालू से बंद कर दिया। इसके अंदर भी भालू भरवा दी गई ताकि यह गिरे ना। हालांकि अब इसी बालू की वजह से दीवार पर जोर पड़ता है और दरार आन लगी है। 2020 में सरकार ने इसमें से बालू निकलवाने का फैसला किया। एएसआई के अधिकारियों ने कहा कि यह सोचकर इसमें बालू भरवाई गई थी कि यह छत के वजन को संभाल लेगी हालांकि इसका उल्टा हुआ। बालू नीचे बैठ गई और दीवारों पर जोर पड़ने लगा। अब चुनौती यही है कि किस तरह से इमारत को सुरक्षित बचाते हुए कैसे रेत निकाली जाए। एक अधिकारी ने बताया, जगमोहन के अंदर 14 फीट की ऊंचाई तर रेत है। हमें छत को अस्थायी सपोर्ट भी देना पड़ेगा।

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