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सचिव आपदा प्रबंधन डॉ रंजीत सिन्हा ने दी जानकारी, सरकार प्रभावितों को अन्तरिम राहत के तौर पर अभी तक 42 प्रभावितों को 63 लाख की धनराशि की वितरित, जोशीमठ में भू-धंसाव से प्रभावित लोगों के लिए राहत और बचाव कार्य जारी

  • भारत सरकार की और से किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए गौचर मे सेना, आईटीबीपी के हैलीकाॅप्टर तैनात

  • सीबीआरआई, वाडिया इन्संटीयूट, जीएसआई, आईआईआरएस तथा एनजीआरआई की एक समिति जोखिम मूल्यांकन के लिए गठित की गई

  • पानी के डिस्चार्ज में 50 प्रतिशत से भी अधिक की कमी आई

  • एनजीआरआई हैदराबाद की टीम भूमिगत जल चैनल के अध्ययन के लिए जोशीमठ पहुंच रही जोशीमठ

देहरादून ।सचिव आपदा प्रबन्धन डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने गुरूवार को जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव एवं भूस्खलन के बाद राज्य सरकार की और से किये जा रहे राहत एवं बचाव, स्थायी/अस्थायी पुनर्वास आदि से सम्बन्धित किये जा रहे कार्यो की मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि सरकार के प्रभावितों को दिए गए हर प्रकार के राहत के आश्वासन को पूरा करते हुए विस्थापन के लिए अंतरिम राहत के रूप में 42 परिवारों को 63 लाख रूपये की धनराशि वितरित कर दी गयी है। सीबीआरआई की और से धवस्तीरण से नुकसान का आंकलन, जिन आवासों/भवनों का धवस्त किया जाना है, का निगरानी और अस्थायी पुनर्वास किये जाने के लिए प्री फेब हट की डिजाईन तैयार की जा रही है। सीबीआरआई की टीम गुरुवार को जोशीमठ पहुंच गयी तथा क्षतिग्रस्त भवन का सर्वेक्षण कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। वर्तमान समय में जोशीमठ में एनडीआरएफ की 02 टुकड़ियां तैनात की गई है तथा जोशीमठ क्षेत्र के लिए एक टुकड़ी और रवाना की जा रही है। जोशीमठ में एसडीआरएफ की 08 टुकड़ियां तैनात की गई है। इसके साथ ही आकस्मिक स्थिति के लिए सेना, आईटीबीपी के हैलीकाॅप्टर तैनात किए गए है। आईआईटी रूड़की की और से भू-तकनीकी अध्ययन किया जा रहा है। आई. आई. आर. एस की और से लैण्ड मूवमेन्ट का सैटेलाइट फोटोग्राफस उपलब्ध कराये जायेंगे। जीएसआई द्वारा प्रभावित क्षेत्र का भूमि सर्वेक्षण एवं पुनर्वास किये जाने हेतु चयनित भूमि का भूगर्भीय अध्ययन किया जा रहा है। वाडिया संस्थान द्वारा क्षेत्र के भूकम्प के दृष्टि से अध्ययन किया जा रहा है तथा 03 भूकम्पीय स्टेशन लगाये जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त भूमिगत उप-सतही सर्वेक्षण के भू-भौतिकीय अन्वेशण शुरू किया गया है। राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रभावित क्षेत्र का भु-भौतिकीय अध्ययन किया जा रहा है, जिसका हाइड्रोलाॅजिकल मैप भी उपलब्ध कराया जायेगा। एनजीआरआई हैदराबाद की टीम कल ( आज) जोशीमठ पहुंच रही है, जोकि भूमिगत जल चैनल का अध्ययन करेगी। जोखिम मूल्यांकन के लिए सीबीआरआई, वाडिया इन्संटीयूट, जीएसआई, आईआईआरएस तथा एनजीआरआई की समिति गठित की गई है।
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि जोशीमठ में प्रारम्भ में निकलने वाले पानी का डिस्चार्ज जो 06 जनवरी 2023 करे 540 एलपीएम था, वर्तमान में घट कर 240 एल0पी0एम0 हो गया है। अस्थायी रूप से जोशीमठ में कुल 344 कक्ष/कमरे है जिनकी क्षमता 1425 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष/कमरे है जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। उन्हें चिहिन्त कर लिया गया हैं। प्रभावितों को वितरित राहत राशि के तहत प्रति परिवार 5000 रूपये की दर से घरेलू राहत सामग्री के लिए अभी तक कुल 73 ( कुल 3.65 लाख रूपये ) प्रभावितों को वितरित की गई है। तीक्ष्ण / पूर्ण क्षतिग्रस्त भवन के लिए 10 प्रभावितों को 13.00 लाख रूपये धनराशि वितरित की गई है। सचिव आपदा प्रबन्धन ने बताया कि जनपद चमोली में राहत एवं बचाव कार्यों के लिये धनराशि रू 11.00 करोड़ पूर्व में ही अवमुक्त की जा चुकी है। 4000 रूपये प्रति परिवार की दर से 03 परिवारों को 12000 रूपये वितरित किये जा चुके हैं। जोशीमठ में ड्रेनेज सम्बन्धित कार्यों तथा टो-इरोजन की रोकथाम हेतु तत्काल कार्य प्रारम्भ किये जाने के उददेश्य से ईपीसी मोड में कार्य करवाने के लिये सिंचाई विभाग से प्रस्ताव प्राप्त हो गया है तथा उक्त प्रस्ताव में प्रस्तावित एकल स्रोत की संस्था को नामित किये जाने के लिए पत्रावली वित्त विभाग के अनुमोदन को भेजी गयी है। जोशीमठ में आपदा प्रभावित एचटी/एलटी लाईनों एवं परिर्वतकों को स्थानान्तरित किये जाने हेतु ऊर्जा विभाग को धनराशि रू 214.43 लाख अवमुक्त की जा रही है।
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि अभी तक 760 भवनों की संख्या जिनमें दरारें दृष्टिगत हुई है। उन्होनें जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र / वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 128 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 145 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये है। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 589 है।
प्रेसवार्ता में अपर सचिव आपदा प्रबन्धन, निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण संस्थान, प्रभारी अधिकारी पीआईबी, निदेशक वाडिया संस्थान, निदेशक आईआईआरएस देहरादून, निदेशक एनआईएच तथा निदेशक आईआईटीआर उपस्थित थे।

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