भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान का पूर्व सीएम हरीश रावत के आरोपों पर पलटवार ,कहा- कांग्रेस काल में रहा शराब माफिया का दखल, धामी सरकार में माफियाओं के हितों को दरकिनार कर आम जन के हित को ध्यान मे रखकर बनाई गयी शराब नीति
देहरादून । भाजपा ने कहा कि प्रदेश मे पहली बार शराब नीति माफियाओं के हितों को दरकिनार कर आम जन के हित को ध्यान मे रखकर बनाई गयी है।
पूर्व सीएम हरीश रावत के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार मे अन्य क्षेत्रों की तरह शराब माफिया का बड़ा दखल था। नीति भी शराब माफियाँ के इशारे पर तैयार हो रही थी तो सरकार भी उनके साथ पार्टनर थी। आबकारी के स्टिंग मे जहाँ सरकार माफिया के गठजोड़ की कलई खुली तो डेनिस के तहलके को सबने देखा। सरकार के मंत्रियों ने सीएम पर ही सवाल उठाये थे।
चौहान ने कहा कि कांग्रेसी अपने अतीत को भूलकर एक जन हित की नीति पर सवाल उठा रहे है, जो कि उनकी रीति और नीति का हिस्सा है।
धामी सरकार ने नई नीति मे इसका लाभ आम लोगो तक पहुंचाने के लिए जरूरी कदम उठाये है। इसमे तीन रुपये बतौर सेस लगाए गए है जो कि जन हित मे है। इसमे एक रुपये नारी शक्ति, एक रुपये युवा कल्याण और खेल तथा एक रुपये गौवंश के लिए है। इससे प्रतिमाह डेढ़ करोड़ रुपये अर्जित होंगे जो इनको लाभ के तौर पर मिलेंगे। कांग्रेस के लिए यह सोचने की जरूरत है कि प्रति बोतल 3 रुपये जो सेस के लिए रखे है उसका लाभ किसे मिल रहा है। पहले सभी पैसा माफियाओं की जेब मे जाता था।
धामी सरकार की नीतियों से माफिया बेहाल है और कांग्रेस हमेशा माफियाओं को सरंक्षण देती रही है।
चौहान ने कहा कि सरकार ने सूझ बूझ के साथ जोशीमठ आपदा का प्रवंधन कर बेहतर पुनर्वास नीति तैयार की है। लोगों को राहत राशि का वितरण कार्य भी चल रहा है। हालांकि कांग्रेस आपदा की घड़ी मे पीड़ितों के साथ खड़ी होने के बजाय इसे राजनेतिक अवसर के रूप मे देखती रही और विरोध प्रदर्शन पर उतर गयी। कम समय मे बेहतर पुनर्वास नीति धरातल पर उतरी है।
राज्य मे बेरोजगारों के हित धामी सरकार मे ही सुरक्षित हो पाए और आज नकल माफिया सलाखों के पीछे है। स्वरोजगार की दिशा मे सरकार की योजनाएं कृषि और बागवानी के क्षेत्र मे फलीभूत हो रही है। वहीं कांग्रेसी सरकारों की तुलना मे सस्ती और कटौती मुक्त बिजली लोगों को मुहैया कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष होने वाली विद्युत वृद्धि की दर कांग्रेस काल की अपेक्षा कम है।