समान नागरिक संहिता विधेयक-2024 के मुख्य प्रावधान तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून व तलाक के बाद भरण पोषण का नियम एक होगा,गोद लेने के लिए सभी धर्मों का एक Law होगा, संपत्ति बटवारे में लड़की का समान हक सभी धर्मों में होगा लागू
देहरादून। तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा। तलाक के बाद भरण पोषण का नियम एक होगा। गोद लेने के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा। संपत्ति बटवारे में लड़की का समान हक सभी धर्मों में लागू होगा। अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा। सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी। लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण जरूरी होगा। प्रदेश की जनजातियां इस कानून से बाहर होंगी। एक पति पत्नी का नियम सब पर लागू होगा, बहुपत्नी प्रथा होगी समाप्त। पुरुष और महिला के बीच विवाह तभी अनुबंध किया जा सकता है, जब विवाह के समय दोनों पक्षकारों में ना तो वर की कोई जीवित पत्नी हो और ना ही वधू का कोई जीवित पति हो। विवाह के समय पुरुष की आयु 21 वर्ष पूरी हो और स्त्री की आयु 18 वर्ष पूरी हो। धारा 6 के तहत विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। पति या पत्नी में से किसी ने दूसरे के सहचार्य से किसी युक्ति युक्त प्रति हेतु के बिना प्रत्यारित कर लिया हो, तब पीड़ित पक्ष दांपत्य अधिकारों के प्रतिस्थापन के लिए न्यायालय में याचिका द्वारा आवेदन कर सकेगा। विवाह का कोई भी पक्षकार इस संहिता के प्रारंभ होने के बाद न्यायिक पृथक्करण की प्रार्थना करते हुए याचिका प्रस्तुत कर सकेगा। विवाह निम्नलिखित आधारों में किसी भी न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत किए जाने पर शून्य अवर्णीय होगा, अगर प्रत्यार्थी की नपुंसकता या जानबूझकर प्रतिषेध के कारण विवाह उत्तर संभोग नहीं हुआ है। या याचिकाकर्ता की सहमति बलपूर्वक प्रकीर्णन या धोखाघड़ी से प्राप्त की गई हो या पत्नी विवाह के समय पति के अलावा किसी अन्य पुरुष से गर्भवती थी या पति ने विवाह के समय पत्नी के अलावा किसी अन्य महिला को गर्भवती किया था। किसी भी पक्षकार द्वारा प्रस्तुत याचिका पर विवाह विच्छेद के आज्ञाक्ति द्वारा सिर्फ इस आधार पर विघटित किया जा सकेगा कि दूसरे पक्षकार ने विवाह के पश्चात याचिकाकर्ता से भिन्न किसी व्यक्ति के साथ संभोग किया हो या दूसरे पक्षकार ने विवाह के बाद याचिकाकर्ता के साथ क्रूरता का व्यवहार किया हो।