उत्तराखण्डदेहरादून

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सदन में अपने संबोधन में कहा, यूनिफॉर्म सिविल कोड समानता से समरसता की ओर बढ़ाया गया कदम,सारे भेदभाव खत्म होंगे,  कुरीतियों को दूर करने में अहम हिस्सा होगा यूसीसी 

मुख्यमंत्री धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सदन में विस्तार से रखी अपनी बात
संबोधन के दौरान कई बातों को बारीकी से समझाया
देहरादून। उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पर उत्तराखंड विधानसभा में फाइनल मुहर लग गई है. आज सदन में सीएम धामी ने यूसीसी पर मुहर लगने से पहले सदन को संबोधित किया। इस दौरान सीएम धामी ने कहा  कि यूनिफॉर्म सिविल कोड समानता से समरसता की ओर बढ़ाया गया कदम है। सीएम धामी ने कहा यूनिफॉर्म सिविल कोड सारे भेदभाव खत्म करेगा। कुरीतियों को दूर करने में अहम हिस्सा होगा।
समान नागरिक संहिता विधेयक पर 6 और 7 फरवरी को सदन में दो दिनों तक लंबी चर्चा हुई। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों को लेकर अपने-अपने विचार रखें। यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पास होने से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन को संबोधित किया। सीएम धामी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल कोई सामान्य विधेयक नहीं है। सीएम धामी ने कहा उत्तराखंड को इतिहास बनाने का मौका मिला है। जिसके कारण आज उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को लागू कर इतिहास रचने जा रहा है.
सीएम धामी ने कहा यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को विस्तार से बनाया गया है।इसमें कई लोगों के सुझाव लिये गये हैं। उन्होंने बताया माणा गांव से इसकी शुरुआत हुई थी। इसमें तमाम राजनैतिक दलों को भी शामिल किया गया। यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल उत्तराखंड के जन गण मन की बात है। सीएम धामी ने कहा ये कानून सबको एक रुपता में लाने का काम करता है।सीएम धामी ने कहा उत्तराखंड का धरती आज आदर्श स्थापित करने जा रही है। उन्होंने कहा कि  हम समरस समाज का निर्माण करने की ओर बढ़ रहे हैं.।
सीएम  धामी ने कहा कि  यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल में इसी को लेकर प्रावधान किये गये हैं। सीएम धामी ने कहा हमने जो संकल्प लिया था आज वो सिद्धी तक पहुंच रहा है। उन्होंने कहा  कि भारत का संविधान हमें लैंगिक समानता और धर्मनिपेक्षता की सीख देता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल इसी दिशा में उठाया गया कदम हैं। सीएम धामी ने कहा जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है, इस सदन से निकलने वाली समान अधिकारों की ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि जब हम समान मन की बात करते हैं तो उसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि हम सभी के कार्यों में एकरूपता हो बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम सभी समान विचार और व्यवहार द्वारा विधि सम्मत् कार्य करें। सीएम धामी ने कहा  कि हम हमेशा से कहते आए हैं कि अनेकता में एकता, यही भारत की विशेषता, यह बिल उसी एकता की बात करता है, जिस एकता का नारा हम वर्षों से लगाते आए हैं। सदन के अंदर अपने संबोधन के दौरान सीएम धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी का भी आभार जाताया।सीएम धामी ने बताया 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई, देश के सीमांत गांव माणा से प्रारंभ हुई यह जनसंवाद यात्रा करीब नौ माह बाद 43 जनसंवाद कार्यक्रम करके नई दिल्ली में पूर्ण हुई. 2 लाख 32 हजार से अधिक सुझाव प्राप्त हुए. प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों द्वारा किसी कानून के निर्माण के लिए अपने सुझाव दिए। हमारे प्रदेश की देवतुल्य जनता की जागरूकता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है, इस सदन से निकलने वाली समान अधिकारों की ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने कहा कि, जब हम समान मन की बात करते हैं तो उसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि हम सभी के कार्यों में एकरूपता हो बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम सभी समान विचार और व्यवहार द्वारा विधि सम्मत् कार्य करें. सीएम धामी ने कहा हम हमेशा से कहते आएं हैं कि अनेकता में एकता, यही भारत की विशेषता, यह बिल उसी एकता की बात करता है, जिस एकता का नारा हम वर्षों से लगाते आए हैं।सीएम धामी ने आगे कहा कि, सामान नागरिक संहिता के विषय पर, उन्हें यह कहते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि हमने जो संकल्प लिया था, आज इस सदन में उस संकल्प से सिद्धि होने जा रही है। उन्होंने कहा हमारी देवभूमि समानता से सभी का सम्मान करना सिखाती है, जैसे यहां के चार धाम और कई मंदिर हमारे लिए पूजनीय है, वैसे ही पिरान कलियर भी हमारे लिए एक पवित्र स्थान है।आज समय आ गया है कि हम, वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर, एक ऐसे समाज का निर्माण करें जिसमें हर स्तर पर समता हो। वैसी ही समता, जिसके आदर्श मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम हैं।सीएम धामी ने कहा  कि हमारी सरकार का यह कदम संविधान में लिखित नीति और सिद्धांत के अनुरूप है। यह महिला सुरक्षा तथा महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है। संविधान सभा ने इससे संबंधित विषयों को संविधान की समवर्ती सूची का अंग बनाया है, जिससे केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी अपने राज्य के लिए समान नागरिक संहिता पर कानून बना सकें। आजादी से पहले हमारे देश में जो शासन व्यवस्था थी, उसकी सिर्फ एक ही नीति थी और वो नीति थी फूट डालो और राज करो। अपनी उसी नीति को अपनाकर उन्होंने कभी भी सबके लिए समान कानून का निर्माण नहीं होने दिया। समान नागरिक संहिता, विवाह, भरण-पोषण, गोद लेने, उत्तराधिकार, विवाह विच्छेद जैसे मामलों में भेदभाव न करते हुए सभी को बराबरी का अधिकार देगा। यही प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार भी है।

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