इलेक्ट्रिक वाहनों के मानकीकरण के लिए तकनीक विकसित
बेहतरीन ड्राइवट्रेन उपकरणों का देती है सुझाव
नई दिल्ली।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी (आइआइटी-जी) के शोधकर्ताओं ने अपनी तरह की अनूठी तकनीक विकसित की है जो भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों (ईवी) की मोटर और बैटरी को श्रेणीबद्ध करती है। यह तकनीक भारतीय परिस्थितियों में इन वाहनों के लिए बेहतरीन ड्राइवट्रेन उपकरणों का सुझाव देती है। ड्राइवट्रेन उपकरणों का समूह होता है जो वाहन के पहियों को शक्ति देता है।
आइआइटी गुवाहाटी में इलेक्ट्रानिक्स एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर प्रवीण कुमार ने कहा कि आर्द्र क्षेत्र के लिए विकसित इलेक्ट्रानिक ड्राइवट्रेन (घटकों का समूह जो पहियों को ऊर्जा प्रदान करता है) शुष्क और ठंडे वातावरण में काम नहीं करती है। लिहाजा, मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) अब भारतीय स्थितियों के लिए मानक ड्राइव साइकिल बनाने पर विचार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि फिलहाल, कोई भी ओईएम इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं करता। इस शोध से उम्मीद है कि यह विभिन्न क्षेत्रों के आधार पर बेहतर और अधिक प्रभावी ड्राइवट्रेन का निर्माण करेगा।
साथ ही प्रवीण कुमार ने कहा कि संस्थान का इरादा ओईएम के साथ काम करने वाले वाणिज्यिक वाहनों के लिए अनुसंधान का विस्तार करना है ताकि वे अधिक कुशल ड्राइवट्रेन का निर्माण कर सकें जो भारत के विभिन्न जलवायु के अनुकूल हो। शोधकर्ता इस तकनीक को चार पहिया वाहनों के लिए भी विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं क्योंकि वर्तमान परियोजना विशेष रूप से दोपहिया वाहनों पर केंद्रित है। आइआइटी गुवाहाटी की ‘इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लेबोरेटरी’ के शोधार्थियों ने ग्रामीण और शहरी इलाकों में भारतीय मौसमी स्थितियों पर ध्यान केंद्रित किया है। शोधार्थियों का दावा है कि आइआइटी गुवाहाटी की टीम द्वारा विकसित किया गया ‘ड्राइव-साइकिल’ अनूठा है और कहीं भी उपलब्ध नहीं है।