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जलवायु परिवर्तन संबंधी लक्ष्यों को हासिल करने में दूसरों की मदद कर सकता है भारत: यूएन प्रतिनिधि

नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन से संबंधित संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च-स्तरीय सलाहकार समूह की सदस्य रशेल काइट ने कहा कि भारत के पास न केवल 2070 तक ‘नेट-जीरो’ कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने की क्षमता है, बल्कि वह इस काम में दूसरे देशों की सहायता भी कर सकता है। काइट ने कहा कि दुनिया को भारत पर दाव लगाने की जरूरत होगी, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के लिए अनेक प्रकार के हल यहीं से निकलेंगे। काइट जलवायु संकट से निपटने के लिए किए जाने वाले प्रयासों को लेकर नीतिनिर्माताओं, कारोबारियों और थिंक-टैंक से विमर्श करने के वास्ते भारत की यात्रा पर हैं। बता दें कि वह टफ्त्स यूनिवर्सिटी में फ्लेचर स्कूल की डीन भी हैं। काइट के अनुसार, सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ाये जाने के अलावा भारत ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया का केंद्र बनने को लेकर भी गंभीर है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग जैसे सरकारी थिंक टैंक और अन्य सरकारी विभागों के साथ उनकी बातचीत में ग्रीन हाइड्रोजन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया है। ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन’ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा कर कहा था कि भारत 2070 तक ‘नेट-जीरो’ कार्बन उत्सर्जन का अपना लक्ष्य हासिल कर लेगा। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता को 500 गीगावाट तक ले जाया जायेगा।
वहीं रशेल काइट ने कहा, श्मैंने यहां जिससे भी मुलाकात की, सबने ग्रीन हाइड्रोजन की बात की। भारत अपनी अर्थव्यवस्था के लिए हरित ऊर्जा का प्रदाता बन सकता है बल्कि इसका निर्यात करना भी प्रारंभ कर सकता है।श् हालांकि काइट इसके लिए ‘पर्याप्त धन’ की जरूरत बताई है।
उन्होंने आगे कहा, विकासशील देशों के लिए 100 अरब डालर के पैकेज का वायदा अभी तक पूरा नहीं हो सका है। हम चाहते हैं कि (विकसित देश अपना) यह वायदा पूरा करें।

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