उत्तराखण्ड

Forest Research Institute Deemed University 6th Convocation: वानिकी के विभिन्न विषयों में 115 को पीएचडी, 389 एमएससी सहित  504 को मिली डिग्रियां, खुशी से फूले नहीं समाए स्टूडेंट्स

  • उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 12 छात्र छात्राओं को दिया गया गोल्ड मेडल

  • मुख्य अतिथि भरत ज्योति ने ज्ञान और नवाचारों  के महत्व पर डाली रोशनी

देहरादून ।वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) सम विश्वविद्यालय, देहरादून के छठे दीक्षांत समारोह का आयोजन  शनिवार को  एफआरआई के दीक्षांत सभागार में किया गया। इस अवसर पर  भरत ज्योति, निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
बिवाश रंजन, अतिरिक्त महानिदेशक (वन्यजीव), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने स्पेशल गेस्ट के रूप में शिरकत की।  अरुण सिंह रावत, कुलाधिपति, एफआरआई सम विश्वविद्यालय और महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई), देहरादून ने समारोह की अध्यक्षता की। समारोह की शुरुआत कुलसचिव डॉ ए. के त्रिपाठी की अगवानी से हुई। डॉ रेनू सिंह, कुलपति, एफआरआइ सम विश्वविद्यालय और निदेशक, एफआरआई ने गणमान्य अतिथियों, विशेष आमंत्रित सदस्यों, छात्रों और उनके अभिभावकों और सभी उपस्थितजनों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय की रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और वानिकी और संबंधित क्षेत्रों की चुनौतियों पर आधारित कार्ययोजना के साथ ही साथ भविष्य की प्रतिबद्धताओं का उल्लेख किया गया। उन्होंने छात्रों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने और ज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान  के लिए  विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
समारोह के दौरान वानिकी के विभिन्न विषयों में 115 पीएचडी और 389 एमएससी सहित कुल 504 उपाधियाँ प्रदान की गईं। इनके  अलावा  एमएससी कोर्स मे उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 12 छात्रों जिनमे रूपाली शर्मा, सावला श्रुति हसमुख, बिक्रम सिंह (वानिकी); भव्या थापा, प्राची उपाध्याय, एंथोनी एशलिन विलियम (पर्यावरण प्रबंधन); सुनंदिनी, आकांक्षा शर्मा, प्रदीप कुमार पटेल (काष्ठ विज्ञान और प्रौद्योगिकी); उन्नति चौधरी, रूचि भैसोरा, त्रिनाधा चटर्जी (सेलूलोज़ और पेपर तकनीक) को स्वर्ण पदक दिए गए। वानिकी विषय में डॉ. जी एस रंधावा, पूर्व प्रोफेसर, आईआईटी रुड़की की  प्रायोजित तीन प्रो. पूरन सिंह सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरेट थीसिस पुरस्कार वर्ष 2018-19, 2019-20, 2020-21 के लिए डॉ. इंद्रनील मंडल, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून; डॉ. तंजीम फातिमा, इंस्टीट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, बैंगलोर और डॉ. राखी त्यागी, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून को प्रदान किये गए। मुख्य अतिथि भरत ज्योति ने ज्ञान अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ज्ञान और नवाचारों के महत्व पर प्रकाश डाला और प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा, सुधार और संरक्षण में विश्वविद्यालय शिक्षा की भूमिका पर जोर दिया। ग्रीन स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत पर्यावरण और वन क्षेत्र में कौशल विकास के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के प्रयासों का वर्णन करते हुए, उन्होंने कहा कि युवाओं को कौशल प्रदान करके न केवल वैश्विक चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान, सतत विकास लक्ष्यों और राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्यों को भी प्राप्त किया जा सकता है। भारत की नई शिक्षा नीति को साझा करते हुए, श्री भरत ज्योति ने छात्रों से अपनी प्रतिभा को बढ़ाने और करियर चुनाव के लिए इसका लाभ उठाने का भी आह्वान किया। उन्होंने नालंदा और तक्षशिला के महान प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालयों के बारे में बात की और न केवल अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए बल्कि प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालयों को मजबूत करने पर जोर दिया। डिग्री प्राप्तकर्ताओं और पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए, उन्होंने उनसे अर्जित ज्ञान और कौशल को आगे बढ़ाने और राष्ट्र निर्माण में सार्थक योगदान देने का आह्वान किया। समारोह  में  बिवाश रंजन ने कहा कि वन संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए और वन उत्पादकता और वन आधारित उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन बढ़ाने, गरीबी उन्मूलन, प्रदूषण प्रबंधन, वनीकरण, जलवायु परिवर्तन, आदि से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए वैज्ञानिक प्रयासों को बढाया जाना चाहिए। उन्होंने इस दिशा में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की विभिन्न पहलों जैसे कैम्पा, हिमालयी अध्ययन के लिए राष्ट्रीय मिशन, औद्योगिक प्रदूषण के प्रबंधन के लिए क्षमता निर्माण, राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय और हरित कौशल विकास कार्यक्रम को साझा किया। राष्ट्र निर्माण में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, रंजन ने वानिकी और संबंधित क्षेत्रों में शैक्षिक, अनुसंधान और विकास संस्थानों के बीच सहयोग और एकीकरण को बढ़ाये जाने पर जोर दिया।  विश्वविद्यालय के कुलाधिपति अरुण रावत ने अपने संबोधन में आईसीएफआरई  के  उठाए गए महत्वपूर्ण क़दमों के बारे में जानकारी दी।
कुलाधिपति  ने दीक्षांत समारोह के औपचारिक समापन की घोषणा की । इसके  बाद डॉ एच. एस. गिन्वाल, डीन, एफआरआई सम विश्वविद्यालय  ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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