उत्तराखण्डदेहरादून

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा, संस्कृत एवं संस्कृत शिक्षा की बेहतरी को सरकार प्रतिबद्ध, संस्कृत शिक्षा परिषद व अकादमी की समस्याओं का होगा निराकरण

  • कुलपति ने रखी मांग, उच्च शिक्षा के अधीन हो संस्कृत विश्वविद्यालय

  • संस्कृत विभाग के तहत सभी संस्कृत विद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत तैयार किए जाएंगे नवीन पाठ्यक्रम

देहरादून। प्रदेश में संस्कृत भाषा को जन-जन के बीच पहुंचाने के लिये राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है। इसके लिये प्रत्येक जनपद में एक-एक संस्कृत ग्राम स्थापित करने की योजना है। संस्कृत शिक्षा विभाग के अंतर्गत सभी संस्कृत विद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत नवीन पाठ्यक्रम तैयार किये जायेंगे। उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा परिषद एवं संस्कृत अकादमी की समस्याओं का शीघ्र निराकरण किया जायेगा। संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवेन्द्र शास्त्री के विश्वविद्यालय को उच्च शिक्षा में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार किया जायेगा।

संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने रविवार को सचिवालय स्थित डीएमएमसी सभागार में संस्कृत शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक ली। जिसमें विभाग के कई महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। डॉ. रावत ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश में संस्कृत भाषा एवं संस्कृत शिक्षा के विकास को लेकर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को जन-जन की भाषा बनाने के उद्देश्य से प्रत्येक जनपद में एक-एक संस्कृत ग्राम बनाये जायेंगे, इसके लिये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं। विभागीय मंत्री ने कहा कि हरिद्वार स्थित संस्कृत विश्वविद्यालय को उच्च शिक्षा विभाग के अधीन किये जाने को लेकर विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के समक्ष अपना प्रस्ताव प्रेषित किया है, जिसको लेकर उन्होंने कई तर्क भी बैठक में रखे। जिस पर विभागीय अधिकारियों को प्रस्ताव तैयार कर कार्रवाई के निर्देश दिये हैं। बैठक में मौजूद संस्कृत अकादमी व संस्कृत परिषद से जुड़े शिक्षकों एवं कर्मचारियों द्वारा रखी गई मांगों पर डॉ. रावत ने कहा कि उचित मांगों पर शीघ्र कार्रवाई की जायेगी। इसके लिये उन्होंने विभागीय सचिव चन्द्रेश यादव तथा निदेशक संस्कृत शिक्षा डॉ. एसपी खाली को निर्देश दिये। बैठक में रूद्रप्रयाग के विधायक व संस्कृत प्रोत्साहन समिति के अध्यक्ष भरत चौधरी ने कहा कि संस्कृत परिषद के अंतर्गत जो संस्कृत महाविद्यालय संचालित किये जा रहे हैं उन सभी को विश्वविद्यालय से संबद्ध किया जाय और संस्कृत बोर्ड से उनका संचालन किया जाना उचित नहीं है, जिससे कई संस्कृत महाविद्यालयों के संचालकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बैठक में सहायता प्राप्त महाविद्यालय संगठन के डॉ. राम भूषण बिज्लवाण, डॉ. जनार्दन कैरवान तथा संस्कृत महाविद्यालय संगठन के डॉ. नवीन पंत द्वारा महाविद्यालयों की समस्याओं को लेकर विभागीय मंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। जिस पर विभागीय मंत्री ने शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया।
बैठक में विधायक रूद्रप्रयाग व संस्कृत प्रोत्साहन समिति के अध्यक्ष भरत चौधरी, सचिव संस्कृत शिक्षा चन्द्रेश यादव, कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. देवेन्द्र शास्त्री, निदेशक संस्कृत शिक्षा डॉ.एसपी खाली, कुलसचिव संस्कृत विवि जीके अवस्थी सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

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