यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस से भारत को जारी है रक्षा आपूर्ति, लेकिन बना हुआ है भुगतान का मुद्दा
नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच मास्को से रक्षा आपूर्ति जारी है क्योंकि भारतीय रक्षा बलों को ओवरहाल किए गए विमान के इंजन और पुर्जों की खेप मिली है। हालांकि, इस बात को लेकर चिंता है कि क्या यह निकट भविष्य में भी जारी रहेगा क्योंकि रूस को भुगतान करने का कोई समाधान अब तक नहीं मिला है। एक सरकारी सूत्र ने बताया कि सुरक्षा बलों को हाल में रूस से शिपमेंट प्राप्त हुए हैं और यह अभी भी जारी है। अब तक हमारे सुरक्षा बलों के लिए आपूर्ति में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि हालांकि, इस बात को लेकर चिंता है कि क्या ये आपूर्ति उसी तरह से जारी रह सकती है। भारतीय पक्ष इन रूसी फर्मों को उनके बैंकों से संबंधित प्रतिबंधों के मद्देनजर भुगतान नहीं कर सकता है। सूत्रों ने कहा कि भारतीय और रूसी पक्ष इस मुद्दे को दूर करने का तरीका खोजने के लिए काम कर रहे हैं और कई विकल्पों का पता लगाया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि रूस से नवीनतम आपूर्ति में लड़ाकू विमान के इंजन और एक विमान बेड़े के लिए पुर्जे शामिल हैं और वे समुद्री मार्ग से पहुंचे।
भारत को रूस से एस -400 एयर डिफेंस प्रणाली के अंतिम भाग भी प्राप्त हुए, जिसका पहला स्क्वाड्रन पाकिस्तान और चीन दोनों के खतरों से निपटने के लिए तैनात किया गया है। भारत रूसी हथियारों के सबसे बड़े उपयोगकर्ताओं में से एक है, जिसमें लड़ाकू जेट, परिवहन विमान, हेलीकॉप्टर, युद्धपोत, टैंक, पैदल सेना के लड़ाकू वाहन और पनडुब्बी जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म शामिल हैं। पिछले कुछ दशकों में भारत ने अमेरिका, फ्रांस और इजराइल जैसे देशों के उपकरणों को बड़े पैमाने पर शामिल करके अपने स्रोत आधार का विस्तार किया है, लेकिन रूस पर निर्भरता अभी भी बहुत अधिक है।
वायु सेना मुख्य रूप से रूसी आपूर्ति पर निर्भर है क्योंकि इसका मुख्य आधार सुखोई 0 विमान का बेड़ा रूसी है। इसके साथ ही इसके एमआइ -17 हेलीकॉप्टर बेड़े भी हैं। भारतीय सेना बख्तरबंद रेजीमेंटों के लिए रूसी मूल के टी-90 और टी-72 टैंक बेड़े पर भी निर्भर है।